इस बार हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

“आ रही हैं मैया करने भक्तों का उद्धार, चारों ओर धूम मचेगी, होगी जय-जयकार!” पितृ पक्ष के बाद शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हो रही है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है “नौ रातें”। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति की देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। ये नौ दिन, भक्तों के लिए बहुत महत्व रखते हैं। भक्त इस महापर्व के लिए हर साल अतिउत्सुक रहते हैं और माँ दुर्गा का स्वागत, पूर्ण भक्तिभाव से करते हैं।

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 26 सितंबर से नवरात्रि का महात्यौहार शुरु हो रहा है, जो 5 अक्टूबर तक पूरे भक्तिभाव और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन के सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। ज्योतिषियों का कहना है कि इस बार शारदीय नवरात्रि में मैय्या रानी, हाथी पर सवार होकर आएंगी।

कैसे तय होती है मां की सवारी ।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवरात्रि का प्रारंभ जब रविवार या सोमवार के दिन से होता है तो माता हाथी पर सवार होकर आती हैं। यदि नवरात्रि, गुरुवार या शुक्रवार से शुरू हों, तो माता रानी, पालकी में आती हैं। वहीं, नवरात्रि की शुरुआत अगर मंगलवार या शनिवार से होती है, तो माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं। नवरात्रि अगर बुधवार से शुरु हों, तो माता रानी, नौका में सवार होकर आती हैं।

क्यों खास है हाथी का सवारी ‌।
ऐसी मान्यता है कि जब नवरात्रि में माता रानी, हाथी पर सवार होकर आती हैं, तो बारिश होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। इससे चारों ओर हरियाली छाने लगती है और प्रकृति का सौंदर्य अपने चरम पर होता है। तब फसलें भी बहुत अच्छी होती हैं। मैय्या रानी जब हाथी पर सवार होकर आती हैं, तो अन्न-धन के भंडार भरती हैं। माता का हाथी या नौका पर सवार होकर आना, भक्तों के लिए बहुत मंगलकारी माना जाता है।

नवरात्रि, हिन्दू धर्म के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है, जिसे परिवार के सभी सदस्य मिल-जुलकर मनाते हैं और देवी माँ से सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। नवरात्रि का पर्व मानाने से भक्तों में भक्तिभाव की वृद्धि तो होती ही है, साथ ही परिवार में आपसी प्रेम भी बढ़ता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *