खराब स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत देने में उदारता बरतनी चाहिए

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि खराब स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत देने में उदारता बरती जानी चाहिए।साथ ही ये भी कहा कि खराब स्वास्थ्य के आधार पर जमानत केवल उस स्थिति में न हो, जिसमें कैदी मरने की कगार पर पहुंच चुका हो।
जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा की पीठ ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी विजय अग्रवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की। पीठ ने आरोपी 59 साल के विजय अग्रवाल को बिगड़ती सेहत और चिकित्सा की जरूरत के आधार पर 10 फरवरी तक अंतरिम जमानत दे दी है।
हाईकोर्ट ने विजय अग्रवाल को जमानत देते हुए यह कहा कि अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो, इंसान की सेहत सबसे जरूरी है। पीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति की सेहत से संबंधित चिंता का राज्य सरकार ध्यान रखे। साथ ही न्यायपालिका को भी इसे सतर्कता और संवेदनशीलता के साथ देखना चाहिए।
जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि कोर्ट को पूरा भरोसा है कि हिरासत में गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को पर्याप्त और प्रभावी चिकित्सा उपचार का अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीमारी और चिकित्सा के आधार पर अंतरिम जमानत देने के विवेक का उपयोग केवल उस हालत में नहीं किया जाए, जब शख्स अंतिम सांसें ले रहा हो। जस्टिस शर्मा ने कहा कि समय रहते उसे समुचित चिकित्सा सुविधा का मिलना आवश्यक है, यह उसका बुनियादी अधिकार भी है।

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