भगवान जगन्नाथ को प्रसन्न करने का अमोघ साधन है गीत गोविंद : इंद्रेश जी महाराज

रांची। टाटीसिलवे के ईईएफ मैदान में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन कथा वाचक पूज्य इंद्रेश जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के जीवन, उनकी लीलाओं और भक्ति के महत्व पर गहन प्रकाश डाला। उन्होंने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, गोवर्धन महिमा और रासलीला का विस्तार से वर्णन किया। इंद्रेश जी महाराज ने विशेष रूप से गीत गोविंद का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भगवान जगन्नाथ को प्रसन्न करने का अमोघ साधन है। उन्होंने बताया कि जयदेव द्वारा रचित यह ग्रंथ भक्ति, प्रेम और संपूर्ण समर्पण का प्रतीक है, जिसे भगवान स्वयं सुनना पसंद करते हैं।

भगवान श्रीकृष्ण का जीवन मानवता के लिए पथ प्रदर्शक
इंद्रेश जी महाराज ने कहा कि भगवान कृष्ण का जीवन हमें धर्म, भक्ति और समर्पण की शिक्षा देता है। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण ने अपने कार्यों से मानवता को सही मार्ग दिखाया और सिखाया कि मनुष्य को अपने सामर्थ्य के अनुसार भक्ति करनी चाहिए और अपने आराध्य की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब भक्त सच्चे भाव से अपने आराध्य की भक्ति करता है, तो भगवान स्वयं उसकी रक्षा करते हैं। श्रीकृष्ण ने सदैव अधर्म का नाश किया और धर्म की स्थापना की। उनके जीवन से हमें प्रेम, करुणा, त्याग और परोपकार की सीख मिलती है।

गोवर्धन महिमा : जब श्रीकृष्ण ने इंद्र का अहंकार तोड़ा
कथा के दौरान गोवर्धन पूजा का प्रसंग भी सुनाया गया। इंद्रदेव की पूजा का विरोध करते हुए श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों को गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए प्रेरित किया। इंद्रदेव ने इस अपमान से क्रोधित होकर मूसलधार बारिश शुरू कर दी, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी की रक्षा की और इंद्र का अहंकार चूर-चूर कर दिया।


भगवान कृष्ण की बाल लीलाएं : बचपन से ही दैवीय शक्ति का परिचय
श्रीकृष्ण की माखन चोरी लीला का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे यह लीला सिर्फ बाल्यकाल की शरारत नहीं, बल्कि ईश्वर की लीला थी, जो भक्तों के प्रेम को स्वीकार करने का प्रतीक है। कालिय नाग ने यमुना नदी को विषाक्त कर दिया था, लेकिन भगवान कृष्ण ने उसे परास्त कर नदी को पुनः शुद्ध कर दिया।


रासलीला : भक्ति और प्रेम का सर्वोच्च स्वरूप
कथा वाचक इंद्रेश जी महाराज ने रासलीला का वर्णन करते हुए कहा कि यह कोई साधारण नृत्य नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। गोपियों की भक्ति और प्रेम को देखकर भगवान श्रीकृष्ण ने उनके साथ रास रचाया, जिससे यह सिद्ध होता है कि ईश्वर प्रेम और भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *