मतदाताओं की खामोशी, बढ़ा रही प्रत्याशियों का टेंशन

चतरा (गणादेश) : लोकसभा चुनावी दंगल के प्रत्याशी घर-घर पहुंचकर मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे हैं। जनता जनार्दन के मिजाज को टटोलत हुए उन्हें मनाने की भरपूर कोशिश की जा रही है। सुबह से लेकर देर शाम तक डोर टू डोर जनसंपर्क अभियान चलाए जा रहे हैं। प्रत्याशियों के कर्ताधर्ता एवं समर्थन पूरी मेहनत के साथ अपने प्रत्याशी को अधिक से अधिक वोट दिलाने के लिए मैराथन दौड़ लगा रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों में चुनावी आरोप प्रत्यारोप भी प्रवान चढ़ रहा है। लेकिन इससे इतर मतदाता पूरी खामोश हैं। यहां गांव की गलियों में अब तक चुनावी शोर गुल शुरू नहीं हुई है। किसान अपने खेत-क्यारी में व्यस्त हैं। दुकानदार अपनी दुकान खोलकर ग्राहकों की बात जो रहे हैं। आम इमाम अपने दिनचर्याओं के अनुसार अपने-अपने काम धंधे में व्यस्त हैं। खाने का तात्पर्य साफ है कि यहां मतदाताओं के खामोशी प्रत्याशियों का टेंशन बढ़ा रहा है। चुनाव को लेकर अब तक यहां ना तो गांव की चौपाल सज रही है और न ही लोग चुनावी रंग में रंगना चाह रहे हैं। इस बार मतदाता पूरी तरह खामोश है। मतदाताओं की खामोशी प्रत्याशियों कि अभी से टेंशन बढ़ा रहे हैं। प्रत्याशी जब उनके दरवाजे तक पहुंच रहे तो केवल दुआ सलाम तक ही बात हो रही है। ऐसे में मतदाताओं की खामोशी उम्मीदवारों की बेचैनी बढ़ा रही है। विभिन्न दलों के उम्मीदवार और कार्यकर्ता डोर-टू-डोर जनसंपर्क के दौरान मतदाताओं के मन की टोह लेने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मतदाता हैं कि अपनी खामोशी तोड़ने को तैयार नहीं हैं। यही नहीं वे वोट मांगने वालों को भ्रमित भी कर रहे हैं। इस बार चतरा लोकसभा चुनाव में 23 प्रत्याशी मैदान में हैं। छटनी में आठ प्रत्याशियों के नामांकन प्रपत्र रद्द हो गए थे। स्कूर्टनी के बाद उम्मीदवार अपने समर्थकों के साथ डोर-टू-डोर जनसंपर्क करने में जुट गए हैं। इस दौरान वे मतदाताओं का मिजाज भांपने और उनका रुझान पता करने के लिए वोटरों का मन टटोलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी यह कोशिश बेकार साबित हो रही है और वे स्थिति का सही अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं। पत्थलगडा के एक गांव में एक प्रत्याशी के समर्थक जनसंपर्क करने पहुंचे कार्यकर्ताओं की टोली ने जब एक बुजुर्ग मतदाता से हाथ जोड़कर कहा कि इस बार वोट हमारे प्रत्याशी को ही देना तो उसने तपाक से कहा ठीक है आपका पूरा सम्मान रखा जाएगा। अभी तो हम विचार कर रहे हैं। ऐसे ही जब कार्यकर्ताओं ने एक अन्य मतदाता से संपर्क किया तो उन्होंने भी हां में हां मिलाई। कई जगह तो कार्यकर्ताओं को इस बात की उम्मीद रही कि मतदाता उनके प्रत्याशी का नाम लेकर वोट देने की बात कहेंगे, लेकिन मतदाताओं की साफगोई से वे सभी दंग हैं। बहरहाल चुनाव में किस दल के साथ मतदाता खड़ा होंगे इसका रुख किसी को पता नहीं चल पा रहा है। जिससे यहां प्रत्याशियों की टेंशन दिन प्रतिदिन और भी बढ़ती जा रही है।

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