पड़हा व्यवस्था पुरखों की विरासत , इसकी मजबूती से संरक्षित होगा समाज: शिल्पी नेहा तिर्की

रांची: रांची के बेड़ों स्थित बारीडीह में 36 वां परंपरागत ऐतिहासिक राजकीय पड़हा जतरा और बेड़ों बाजारटांड़ में 59 वां पड़हा जतरा महोत्सव में राज्य की कृषि , पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की शामिल हुई . पड़हा जतरा में हाथी , घोड़ा , पड़हा निशान , रम्पा , चम्पा, टेंगरी छाता , ढोल _ नगाड़ा और खोड़हा नृत्य मंडली का समागम दिखा . इस मौके पर कृषि , पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि पड़हा का मतलब गांव का स्वरूप है . इस शब्द में आदिवासियों की पहचान सामूहिकता छुपी हुई है . रोहतास गढ़ से आए पूर्वजों ने जंगल _ झाड़ी को साफ कर रहने लायक बनाया . उसके बाद समाज और गांव के संचालन के लिए पड़हा व्यवस्था की स्थापना की गई . इस व्यवस्था में गांव के सुख _ दुख _ अच्छा _ बुरा के साथ न्याय जुड़ा है . मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि आधुनिकता के इस दौर में पड़हा व्यवस्था को लोग अपने _ अपने तरीके से संचालित करने की कोशिश कर रहे है . ऐसा करने से समाज की एकता और सामूहिकता खतरे में है . लेकिन आज पड़हा जतरा इस बात का प्रमाण है कि आज भी पुरखों की व्यवस्था जीवित है और इस व्यवस्था के प्रति लोगों का विश्वास है . उन्होंने कहा कि पड़हा व्यवस्था में सिर्फ आदिवासी ही नहीं सदनों का भी संरक्षण निहित है . इस बात को समझने की जरूरत है . ये ऐसा समाज है जहां पुरुषों और महिलाओं को बराबरी के नजरिए से देखा जाता है . इस समाज में भले ही शिक्षा की कमी हो , पर व्यवहारिक ज्ञान की कोई कमी नहीं . ये समाज दूसरे समाज की तरह सीखने _ समझने और पढ़ने के प्रति सजग नहीं है . यही वजह है कि सबसे पुरानी सभ्यता और समाज अपनी पहचान को बचाए रखने का संघर्ष कर रहा है . मंत्री ने कहा कि जो समाज पढ़ेगा _ लिखेगा , वही समाज विकास करेगा . शिक्षित हो कर अपनी पुरखों की पड़हा व्यवस्था को और मजबूत किया जा सकता है . नई पीढ़ी को इसे गंभीरता से लेना होगा . इसके लिए जनप्रतिनिधियों को सामाजिक मुद्दों पर व्यक्तिगत हित को त्याग कर एकजुटता दिखाने की जरूरत है . हमें अपने समाज के नेता की पहचान करना होगा . याद रहे अगर हम एकजुट नहीं रहे , तो इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएंगे . पड़हा जतरा में दिवाकर मिंज , 12 पड़हा राजा विशाल उरांव , 21 पड़हा राजा महादेव कुजूर , मुखिया सुशांति भगत , नीलमणि भगत , एतवा उरांव , प्रभाकर कुजूर , विनोद उरांव , दीनू उरांव , जुगेश उरांव , सुका उरांव , जगन्नाथ उरांव , भोमा उरांव , विश्वनाथ गोप , सोमरा उरांव , लोहरा उरांव , करमा उरांव , मुद्दसिर हक , जतरु उरांव , धनंजय कुमार राय , विक्टर मालटो , पड़हा राजा अमर उरांव , राहुल मिंज , डॉ रविंद्र नाथ भगत , पद्मश्री मधुर मंसूरी , पद्मश्री मुकुंद नायक , पद्मश्री महावीर नायक सहित आयोजक मंडली के सदस्य स्थित थे .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *