संवैधानिक मूल्यों को ताक पर रखकर बड़ी आबादी के साथ राजनीति कर रही है सरकार : सुदेश कुमार महतो
रांची: सामाजिक न्याय के अग्रदूत बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी, जहाँ सबको समान अधिकार एवं नीति-निर्णय में समान भागीदारी मिले। उन्होंने समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े लोगों की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक एवं राजनैतिक उन्नति की कल्पना की थी, लेकिन राज्य की वर्तमान सरकार बाबा साहब के विचारों के विपरीत कार्य कर रही है। सरकार संवैधानिक मूल्यों को ताक पर रखकर बड़ी आबादी के साथ राजनीति कर रही है।
बाबा साहब ने शिक्षित, संगठित एवं संघर्षशील समाज की कल्पना की थी, महिलाओं की उन्नति की कल्पना थी। लेकिन आज हालात बिल्कुल उलट है। सरकार की मंशा भी बाबा साहब के विचारों, उनकी कल्पनाओं के विपरीत है। राज्य में शिक्षा व्यवस्था की हालत गंभीर है। बच्चों को बुनियादी शिक्षा दिए बिना पास कर दिया जा रहा है। यह भविष्य के साथ खिलवाड़ है। महिलाओं की स्थिति भी किसी से छिपी नहीं है। महिलाओं को सम्मान नहीं देने के मामले में हमारा राज्य पहले पायदान पर है।
बाबा साहब सामाजिक न्याय की बात करते थे, लेकिन सरकार के कार्यों से ऐसा प्रतीत होता है कि बड़ी आबादी के साथ ये न्याय नहीं करना चाहते। सरकार ने एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को भी अपना पॉलिटिकल एजेंडा बनाकर लटका दिया है। इन्होंने तो पंचायत चुनाव में पिछड़ों के लिए आरक्षित हजारों पदों को गैर आरक्षित कर दिया और नगर निकाय चुनाव को लेकर भी इनकी मंशा यही थी। सरकार से हम आग्रह करते हैं कि युगपुरुष बाबा साहब को वो सिर्फ श्रद्धांजलि अर्पित ना करें, बल्कि उनके विचारों को नीति-निर्णयों में भी शामिल करे।
उक्त बातें झारखंड के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष श्री सुदेश कुमार महतो ने बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कही।
आज आजसू पार्टी ने पूरे राज्य में संविधान शिल्पकार बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती मनाई। इसी क्रम में हरमू, रांची स्थित केंद्रीय कार्यालय में बाबा साहब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन करते हुए आजसू पार्टी के केंद्रीय मुख्य प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत ने कहा कि सामाजिक न्याय के बगैर विकास अधूरा है और वर्तमान समय में बाबा साहब के आदर्शों को आत्मसात करने की जरुरत है। बाबा साहेब के सपनों को साकार करने की जिम्मेदारी हम पर है। उनके सपनों को धरातल पर उतारने के लिए युवाओं को आगे आना होगा।
डॉ. देवशरण भगत ने कहा कि राज्य सरकार संविधान के प्रति ईमानदार नहीं है। यह भविष्य के लिए खतरनाक संकेत है। इन्होंने झारखंड के जल, जंगल, जमीन और जमीर के साथ न्याय नहीं किया।
डॉ. भगत ने कहा कि बाबा साहब के विचारों, उनकी गाथा को जन-जन तक पहुंचाने के मकसद के साथ हमने राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में बाबा साहब का स्टेच्यू लगाने का कार्य किया था। संविधान एक ऐसा यंत्र है, जिसके सारे मंत्र भारतीयों को मान, सम्मान, स्वाभिमान के साथ सौहार्दपूर्ण जीवन जीने का हक देता है। इस वर्ष भी हमने बाबा साहब के विचारों को संघर्ष के माध्यम से मूर्त रुप देने का संकल्प लिया है और इसी सोच के साथ इस महीने को सामाजिक न्याय महीना के रूप में मना रहें। संघर्ष वर्ष में सामाजिक न्याय महीना मनाने के पीछे के उद्देश्य बड़े हैं, इसके मायने व्यापक हैं।
इस अवसर पर सिल्ली, रांची में सुनील सिंह, संजय सिद्धार्थ, रांची जिला परिषद उपाध्यक्ष वीना चौधरी, जितेंद बड़ाईक, गौतम कृष्णा साहु, नेपाल नायक, भारत साई, भरत कुमार, हेमंत नायक, ललन कुमार, अर्जुन कालिंदी, हराधन कालिंदी, उर्मिला देवी, रेखा देवी, शंकर बेदिया, सुषेण प्रमाणिक, दिलीप कुमार, किशोर कुमार कुशवाहा, अरबिंद कुमार, कौशल कुमार इत्यादि मुख्य रूप से उपस्थित रहें।