आखिर निकल ही गई राष्ट्रीय खेल घोटाले की जिन्नः बंधु तिर्की के आवास समेत देश के 16 ठिकानों पर सीबीआइ की रेड

गणादेश वेब पोर्टल और अखबार में एक महीने पहले ही छापी थी खबर
रांचीः आखिर झारखंड में 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाले का जिन्न बाहर निकल ही आया। झारखंड के पूर्व शिक्षा मंत्री सह खेल मंत्री बंधु तिर्की के ठिकानों सहित देश भर में 16 जगहों पर सीबीआइ ने रेड की है। रांची में बंधु तिर्की के रांची के मोरहाबादी व बनहौरा स्थित आवास में सीबीआइ आय से अधिक संपत्ति के मामले में सजा होने के बाद विधानसभा की सदस्यता गंवा चुके हैं। वे फिलहाल दिल्ली में हैं। उनकी सदस्यता खत्म होने के बाद मांडर विधानसभा सीट पर 23 जून को उपचुनाव की घोषणा भी हो चुकी है। बताते चलें कि राष्ट्रीय खेल घोटाले में सीबीआइ की रांची स्थित एसीबी में 22 अप्रैल को दो अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज की गईं थीं। दोनों ही प्राथमिकियों के अनुसंधानकर्ता सीबीआइ के पटना स्थित एसीबी के दो अधिकारियों को बनाया गया था। 34वां राष्ट्रीय खेल झारखंड में वर्ष 2011 में 22 फरवरी से 26 फरवरी तक हुआ था।
28.34 करोड़ रुपए का हिसाब किताब नहीं
खेल गांव में भवन निर्माण में अनियमितता बरतने का आरोप है। पूरा घोटाला 28.34 करोड़ रुपये का है, इसमें ऊंची कीमत पर बिना टेंडर खेल सामग्री की खरीद सहित कई अन्य मामले शामिल हैं। वहीं दूसरा मामला मेगा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स के निर्माण में अनियमितता का है, जिसका बजट 206 करोड़ से 506 करोड़ रुपये हो गया था। बंधु तिर्की पर आरोप है कि उन्होंने धनबाद में दो स्क्वैश कोर्ट के निर्माण में वित्तीय अनियमितता की। स्क्वैश कोर्ट के निर्माण की जिम्मेदारी मुंबई की एक कंपनी जाइरेक्स इंटरप्राइजेज को दी गई थी। कंपनी ने 1,44,32,850 रुपये का एस्टीमेट दिया था। इस प्रस्ताव पर आयोजन समिति के महासचिव एसएम हाशमी और तत्कालीन खेल निदेशक तथा सचिव की अनुशंसा के बाद फाइल तत्कालीन विभागीय मंत्री बंधु तिर्की के पास भेजी गई थी। बंधु तिर्की ने नीतिगत निर्णय लेते हुए 20 अक्टूबर 2008 को इसे अनुमोदित कर दिया था। इसमें कंपनी को अग्रिम 50 लाख रुपये दिए गए थे, लेकिन बाद में बिना स्वीकृति के भुगतान के कारण वित्तीय अनियमितता की पुष्टि हुई थी हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई की ओर से राष्ट्रीय खेल घोटाले से जुड़े मामले में दो एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें पहला मामला RC 0242022A001 मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स निर्माण में हुई अनियमितता से जुड़ा है, जो कि अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज है। वहीं दूसरा मामला RC 0242022A002 है, जो खेल आयोजन से जुड़े घपले घोटाले से जुड़ा है। पहले इस मामले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो कर रही थी। जिसमें बंधु तिर्की गिरफ्तार भी किए गए थे और उनके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की गई थी। इस मामले में ब्यूरो ने बंधु तिर्की को प्राथमिक अभियुक्त बनाया था।

कई सफेदपोश आएंगे दायरे में
खेल उपकरण के साथ स्टेडियम निर्माण में करोड़ों रुपये की बंदरबांट होने के आरोप हैं। इसमें कई सफेद पोश निगरानी जांच के दायरे में आ गये है। आरोप यह भी है कि उस समय सत्ता में काबिज नेताओं और अफसरों ने निर्माण कार्य में तिगुने रेट की वसूली की। 31 मई 2006 को स्टेडियम निर्माण के लिए सिंप्लेक्स और नागार्जुना के बीच 18 महीने का करार हुआ था। करार के वक्त यह प्रोजेक्ट 206 करोड़ रुपये का था। तिथि बढ़ने से यह प्रोजेक्ट 377.7 करोड़ का हो गया। फिर एक बार अवधि विस्तार होने से यह प्रोजेक्ट 506 करोड़ रुपये का हो गया। इस दौरान तत्कालीन डिप्टी सीएम, खेल मंत्री सहित अफसरों पर स्टील बीम, मिट्टी, बालू, चिप्स से लेकर मैनपावर तक में मुनाफा कमाने के आरोप लगे। अतिरिक्त सामान के नाम पर 10 करोड़ रुपये भी वसूले गये।

खेल संघों की भी खूब चली दुकानदारी
झारखंड ओलिंपिक संघ समेत खेल संघों की भी खूब दुकानदारी चली। राष्ट्रीय खेल आयोजन की तिथि बार-बार बढ़ाने से खेल संघों की चांदी हो गयी। खेल संघों के पदाधिकारियों पर लाखों रुपये खर्च किये गये। जिमखाना और रांची क्लब में हाई-फाई मीटिंग चली। सरकार ने प्रशिक्षण शिविर के नाम पर खेल संघों को पहले चरण में 1.3 करोड़ और दूसरे चरण में 1.59 करोड़ रुपये भी दिये। खेल संघ के कई पदाधिकारियों सहित संघ के कोषाध्यक्ष फिलहाल जांच के दायरे में हैं।
क्या–क्या हुई अनियमितता
बॉस्केट बॉल स्टेडियम के निर्माण में तीन साल का समय लगा।
चार बार बदला गया डिजाइन।
जापान और कोरिया की कंपनी को एडवांस दिया गया।
एक्वेटिक स्टेडियम में कंपनी ने पहले इटालियन कंपनी का डाइविंग बोर्ड लगाया, फिर उसे बदलकर इंडियन कंपनी ड्यूरा का बोर्ड लगाया गया।
ऐसी थी स्टेडियमों की लागत राशि
स्टेडियम लागत राशि (रुपये में)
मुख्य स्टेडियम- 140 करोड़
बॉस्केट बॉल- 30 करोड़
एक्वेटिक – 25 करोड़
बैडमिंटन – 25 करोड़
शूटिंग रेंज- 10 करोड़
टेनिस कोर्ट, टेनिस स्टेडियम और प्रैक्टिस कोर्ट- 33 करोड़
ऐसे तय किया गया मनमाना रेट
मैटेरियल सरकारी रेट मनमुताबिक रेट
जेड सेक्शन 8700 रुपये 22 हजार रुपये
एसीटी फ्रेम 6200 रुपये 22 हजार रुपये
बल्ब शेड 6200 रुपये 22 हजार रुपये
सिटिंग अरेंजमेंट 9000 रुपये 22 हजार रुपये
मैनपावर 1800 रुपये 2400 रुपये से अधिक
बालू, चिप्स और ईंट कैरेज रेट (आठ किमी) 22-40 (किमी)

घोटाले का पर्दाफाश होने का घटनाक्रम
नवंबर 2008 : स्टेडियम खेल सामग्री की खरीदारी शुरू हुई।
जून 2009 : घोटाला सामने आया।
अगस्त 2009 : स्पेशल ऑडिट का आदेश पारित।
अगस्त 2009 : खेल निदेशक पीसी मिश्र ने इस्तीफा दिया। फिर कुछ दिन बाद उन्हें वापस बुला लिया गया।
सितंबर 2009 : पीसी मिश्र खेल निदेशक पद से हटाये गये।
अक्तूबर 2009 : पीसी मिश्र के खिलाफ निगरानी जांच का आदेश।
अप्रैल 2010 : स्पेशल ऑडिट की रिपोर्ट में 37 करोड़ रुपये की गड़बड़ी उजागर।
सितंबर 2010 : निगरानी में एफआईआर के लिए अर्जी दी गयी।
पांच अगस्त 2018 : खेल मंत्री अमर बाउरी ने खेल घोटाले की सीबीआई जांच की अनुशंसा की।
22 अप्रैल 2022 ः सीबीआइ की टीम रांची पहुंची। आवश्यक दस्तावेजों को एकत्र किया
26 मई 2022ः पूर्व खेल मंत्री बंधु तिर्की के आवास पर सीबीआइ की रेड

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *