गर्भ में पल रहा बच्चा पहले ही सीखेगा संस्कार !

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की महिला शाखा राष्ट्र सेविका समिति के संवर्धिनी न्यास नाम के विंग ने गर्भ संस्कार नाम के कैंपेन की शुरुआत की है। ये कैंपेन गर्भवती महिलाओं के लिए आयोजित की गई है, जिसका मूल उद्देशय गर्भ में ही बच्चों को संस्कृति और मूल्यों की शिक्षा दी जा सकें। विंग ने 5 मार्च को इसके लिए जेएनयू यूनिवर्सिटी में गायनेकोलॉजिस्ट्स का एक कार्यक्रम आयोजित किया।
इस वर्कशॉप में एम्स दिल्ली सहित कई स्त्री रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया था।
संवर्धिनी न्यास की राष्ट्रीय सचिव माधुरी मराठे ने कहा कि गर्भ संस्कार कैंपेन के तहत गर्भ में पल रहा बच्चा पहले ही भारतीय संस्कार को सीखेंगे। गर्भवती महिलाओं को भगवान राम, हनुमान, शिवाजी समेत स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और संघर्ष के बारे में पढ़ाया जाए, जिससे गर्भ में पल रहा बच्चा पहले ही संस्कार सीखना शुरू कर दें।
स्त्री रोग विशेषज्ञ, आयुर्वेदिक डॉक्टर और योगा ट्रेनर के साथ न्यास विंग ऐसी योजना बना रहा है, जिसमें गर्भ में बच्चों को सांस्कृतिक मूल्य प्रदान करने के लिए गर्भावस्था के दौरान गीता का जाप, रामायण और योग अभ्यास शामिल होगा। मराठे ने कहा कि यह कार्यक्रम गर्भावस्था से दो साल की उम्र के बच्चों के लिए शुरू होगा। इसमें गीता के श्लोकों और रामायण की चौपाइयों के जाप पढ़ाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि गर्भ में एक बच्चा 500 शब्द तक सीख सकता है।
1,000 महिलाओं तक पहुंच बनाने की योजना
अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करता है कि बच्चा गर्भ में संस्कार (संस्कृति और मूल्य) सीख सकता है और यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कि बच्चा दो साल का नहीं हो जाता।
मराठे ने कहा कि संवर्धनी न्यास इस अभियान के तहत कम से कम 1,000 महिलाओं तक अपनी पहुंच बनाने की योजना बना रही है। इस अभियान के तहत, न्यास ने रविवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक कार्यशाला आयोजित की, जिसमें एम्स दिल्ली सहित कई स्त्री रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया।

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