केंद्रीय सरना समिति कार्यालय में मांदर और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ नृत्य-संगीत हुआ
रांची; आरआईटी बिल्डिंग कचहरी परिसर स्थित केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय कार्यालय में सोमवार को सरहुल पूजा महोत्सव को लेकर एक प्रेस वार्ता एवं सरहुल पूर्व संध्या कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर समिति के सदस्य, ओरमांझी, हटिया, बरियातू और करम टोली से पारंपरिक परिधान लालपाड़ साड़ी एवं धोती-गंजी में शामिल हुए। कार्यक्रम में ढोल, मांदर और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ नृत्य-संगीत का आयोजन हुआ। “होरा होरा रंगा हस्या…आंबा मंजरे मधु मातले रे…. गांव छोड़ब नहीं जंगल छोड़ब नहीं…की धुन पर लोग झूमते नजर आए।
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने बताया कि प्रकृति पूजा के इस महापर्व को लेकर जनमानस में भारी उत्साह है। सरहुल पर्व को शांति और हर्षोल्लास के साथ मनाने के लिए केंद्रीय सरना समिति द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
सरहुल शोभायात्रा हेतु दिशा-निर्देश:
1.महिलाएं लालपाड़ साड़ी तथा पुरुष धोती-गंजी पहनकर शोभायात्रा में शामिल हों।
2.शोभायात्रा में पारंपरिक वाद्य यंत्रों जैसे ढोल, नगाड़ा और मांदर के साथ नृत्य-संगीत करें।
3.नशा सेवन करके कोई भी व्यक्ति शोभायात्रा में शामिल न हो।
4.छोटे बच्चों के पॉकेट में उनका नाम और पता लिखकर अवश्य रखें।
5.रूढ़िवादी परंपरा के अनुसार पाहन के द्वारा ही मुर्गी या चेंगना की बलि दी जाए।
6.डीजे साउंड सिस्टम का उपयोग न किया जाए।
7.प्रत्येक गांव एवं टोला के खोड़हा दल अपनी सुरक्षा व्यवस्था स्वयं सुनिश्चित करें और अनधिकृत व्यक्तियों को प्रवेश न करने दें।
केंद्रीय सरना समिति अपील करती है कि सभी श्रद्धालु इन दिशा-निर्देशों का पालन कर सरहुल महापर्व को सफल एवं गरिमामय बनाएं।

