राज्य स्तरीय टीओटी का आयोजन, 24 जिलों में 10 फरवरी से एमडीए अभियान की शुरुआत

पटना: बिहार राज्य में फाईलेरिया उन्मूलन के लिए आगामी 10 फरवरी से एमडीए (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) राउंड की शुरुआत होने जा रही है। राज्य के 24 जिलों में आयोजित इस अभियान के तहत घर-घर जाकर दवाएं वितरित की जाएंगी। इस अभियान को लेकर गुरुवार को पटना के एक स्थानीय होटल में राज्य स्तरीय टीओटी (Training of Trainers) कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें प्रमुख अधिकारियों और सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अपनी भूमिका पर चर्चा की और अभियान को सफल बनाने के लिए आवश्यक रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया।

केंद्रीय जानकारी और दवाओं का वितरण:
इस अभियान में 14 दिनों के भीतर फाईलेरिया उन्मूलन की दवाएं घर-घर पहुंचाई जाएंगी। इसके साथ ही मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 17 दिनों तक बूथ बनाए जाएंगे, ताकि अधिक से अधिक लोग दवाएं ले सकें। जिन जिलों में 2 दवाएं दी जाएंगी, उनमें बांका, भागलपुर, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, जहानाबाद, कटिहार, खगड़िया, कैमूर, मुंगेर, सीतामढ़ी, सुपौल, सिवान और पश्चिम चंपारण शामिल हैं। जबकि अरवल, औरंगाबाद, बेगुसराय, गया, जमुई, मुजफ्फरपुर, सारण, शिवहर, शेखपुरा, सहरसा और वैशाली जिलों में तीन दवाएं दी जाएंगी।

अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, फाइलेरिया डॉ. परमेश्वर प्रसाद ने इस कार्यक्रम में भाग लेते हुए बताया कि ड्रग रिफ्यूजल (दवा न खाने वाले) के मामलों को हल करना बेहद महत्वपूर्ण है। इसके लिए ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर का रिविजिट सुनिश्चित करना होगा, ताकि दवाओं के सेवन में कोई कमी न रहे। उन्होंने टीओटी में शामिल सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे अपने-अपने जिलों में शत-प्रतिशत हाइड्रोसील ऑपरेशन सुनिश्चित करें और मार्च 2025 तक राज्य को हाइड्रोसील मुक्त बनाने में सहयोग करें।

सीएचओ की भूमिका और प्रशिक्षण पर जोर:
डब्ल्यूएचओ के स्टेट एनटीडी कोऑर्डिनेटर डॉ. राजेश पांडेय ने कहा कि इस अभियान में समुदाय स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने बताया कि सीएचओ को प्रभावी रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, ताकि वे एमडीए में योगदान देने के साथ-साथ फाईलेरिया मरीजों के विभिन्न स्टेज को भी पहचान सकें। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि शत-प्रतिशत दवा सेवन ही फाईलेरिया के प्रसार चक्र को तोड़ने का एकमात्र तरीका है।

सीतामढ़ी का मॉडल और एमएमडीपी क्लिनिक की अहमियत:
सीतामढ़ी के जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कण्ट्रोल ऑफिसर डॉ. आर.के. यादव ने फाईलेरिया उन्मूलन में एमडीए के साथ-साथ एमएमडीपी (मेडिकल माइक्रोफिलेरियासी डिटेक्शन) क्लिनिक के प्रभावी क्रियान्वयन की जरूरत बताई। उन्होंने बताया कि बिहार ने फाईलेरिया उन्मूलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, और 2018 में सीतामढ़ी ने पहले बार एमडीए का माइक्रोप्लान तैयार किया था। साथ ही, उसी वर्ष अरवल जिले से देश में पहली बार तीन दवाओं के साथ एमडीए राउंड की शुरुआत हुई थी।

सहयोगी संस्थाओं का योगदान:
इस अवसर पर पिरामल फाउंडेशन के बासब रुज ने फाईलेरिया उन्मूलन में फाउंडेशन के योगदान पर विस्तार से जानकारी दी। पिरामल फाउंडेशन की प्रीति ने भी समुदाय स्तर पर किए गए प्रयासों और कार्यों की चर्चा की, जो एमडीए के अभियान को प्रभावी बनाने में सहायक हैं। इसके अलावा, सीफार, लेप्रा, पीसीआई और जीएचएस जैसी सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने एमडीए राउंड के दौरान अपनी भूमिकाओं पर प्रकाश डाला और उनके द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी दी।

कार्यशाला का समापन:
कार्यशाला में फाईलेरिया के राज्य सलाहकार डॉ. अनुज सिंह रावत सहित राज्य के विभिन्न जिलों से बीवीडीसीओ, बीडीसीओ, डीसीएम, बीवीडीसी कंसलटेंट्स और पिरामल तथा सीफार के डिस्ट्रिक्ट लीड एवं अन्य सहयोगी संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। सभी ने सामूहिक रूप से इस अभियान को सफल बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई और इस दिशा में और बेहतर प्रयास करने का संकल्प लिया।

इस कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य में फाईलेरिया उन्मूलन को लेकर जागरूकता बढ़ाने और स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए सभी संस्थाएं मिलकर काम करेंगी।

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