आरसीपी ने सीएम नीतीश पर बोला हमला, कहा, बिहार को गर्त में धकेल दिया हैकिसान पस्त और आप दिल्ली में मस्त हैं
पटना। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने सीएम नीतीश कुमार पर एक बार फिर से हमला बोला है। कहा है कि बिहार को गर्त में धकेल दिया है। आज बिहार के प्रशासन और कानून व्यवस्था की क्या हालत हो गई है। उनके काफिले पर हमला हो रहा है। फिजिकल अटैक हो रहा है। बिहार की जनता ने आपको विकसित प्रदेश बनाने और बिहार के लिए काम करने का जनादेश दिया था। लेकिन आज बिहार की क्या स्थिति है। पूरा दक्षिण बिहार सुखाड़ की चपेट में है। आपको वहां जाना चाहिए था लेकिन आप दिल्ली घूम रहे हैं। किसान पस्त और आप दिल्ली में मस्त हैं। आरसीपी सिंह दिल्ली से पटना लौटने पर एयरपोर्ट में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने अपनी पहचान खो दी है। अब उम्र का असर होने लगा है। उस कांग्रेस से हाथ मिलाने गए हैं जिन्होंने जेपी पर लाठी चलवाई थी। आरसीपी ने विपक्षी एकता पर भी कटाक्ष किया है। साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि नीतीश जी कहते हैं कि देश में कोई कोई काम नहीं हो रहा। तो श्रीमान जी, ये जान लीजिए, आज देश के लिए गौरव की बात है कि जिस इंग्लैंड ने हमपर शासन किया था, अर्थव्यवस्था के मामले में हम उनसे आगे हैं। आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की है। जब 2014 में नरेंद्र मोदी पीएम बने थे, तब यह 10वें-11वें नंबर पर थी। फिर भी कहते हैं कि काम नहीं हो रहा। विपक्ष को एकजुट करने के सीएम नीतीश कुमार के प्रयास पर उन्होंने कहा कि हमें तो हंसी आती है। यह विपक्षी नहीं पक्षी एकता है। कोई पक्षी जमीन पर, कोई आसमान में, कोई पेड़ पर रहते हैं। यही हाल विपक्ष का है। केसीआर आए थे हुआ क्या। उठ-बैठ होता रहा। विपक्ष को एकजुट करने के प्रयास में वे सबसे पहले किससे मिले। राहुल गांधी से। आरसीपी सिंह ने कहा कि सीएम 1974 के जेपी आंदोलन के प्रोडक्ट हैं। उस जेपी पर लाठी किसने चलवाई थी। इमरजेंसी किसने लगवाया था। आज उन्हीं के साथ रात गुजार रहे हैं। उसके साथ फोटो खिंचवा रहे हैं। मुख्यमंत्री की भाषा पर भी आरसीपी नाराज दिखे। कहा कि वे अपनी संयमित भाषा के लिए जाने जाते थे। लेकिन आज किस तरह की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। पार्टी की बैठक में तुम-तड़ाक वाले लहजे में बोल रहे हैं। यह दर्शाता है कि उनपर उम्र हावी हो गया है। नीतीश कुमार आज भी दरबारी प्रथा को बढ़ावा दे रहे हैं जब लोगों का जिला स्तर प्रखंड स्तर वह पंचायत स्तर पर काम नहीं हो रहा है तब वह मुख्यमंत्री के जनता दरबार में कैमूर, किशनगंज, औरंगाबाद, भागलपुर, कटिहार, बेतिया, मोतिहारी, जैसे दूर दराज से जनता दरबार में दरबारी के रूप में गुहार लगाने आते हैं मतलब कि इनके 17 साल में सरकार की प्रशासनिक व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाई है। अगर इस जनता के पैसे का सही ढंग से प्रशासनिक सुधार में खर्च हुआ होता तो जनता को अपने घर से पटना आकर गुहार लगाना नहीं पड़ता। इसमें जनता व सरकार दोनों का पैसा खर्च होता है मगर आम लोगों को इसका फायदा नहीं पहुंचता है