नीतीश तेजस्वी मुलाकात से जाति जनगणना की सियासत तेज

गणादेश ब्यूरो
पटना: नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की मुलाकात हो गई। मुख्यमंत्री आवास पर सीएम से मिलकर जब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव निकले तो उनके चेहरे पर मुस्कान थी। अब बिहार की राजनीति को समझने वाले इस मुस्कान का मतलब निकाल रहे हैं।
एक तरफ राजद कह रहा है कि तेजस्वी ने जातिगत जनगणना पर दो टूक बात कर मुख्यमंत्री को जल्द सर्वदलीय बैठक बुलाने के लिए बाध्य कर दिया है। राजद इसे अपनी जीत के तौर पर देख रहा है तथा अपने समर्थकों को यह समझा पा रहा है कि एनडीए को जातिगत जनगणना करानी ही होगी।
दूसरी तरफ एनडीए खासकर जदयू के नेता इस बात से खुश हैं कि जातिगत जनगणना शुरू से जदयू का एजेंडा रहा है और इसका पूरा क्रेडिट भी जदयू को ही मिलेगा।
दरअसल जातिगत जनगणना दोनों ही सियासी किनारों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि भविष्य की पिछली राजनीति जातिगत जनगणना के रास्ते से होकर ही निकलेगी। इसीलिए बहुत सारे लोग इसे आरक्षण पार्ट टू कह रहे हैं।राजद और जदयू भी इस बात को बखूबी समझ रहा है कि जब जातिगत जनगणना होगी और उसके आंकड़े निकलेंगे तो बिहार में राजनीति नए तरीके से परिभाषित होगी, जिसमें सबसे ज्यादा दिक्कत भाजपा को होनी है क्योंकि भाजपा ने ही जातिगत जनगणना को ना कहा है।
बीजेपी के पिछड़े नेता पार्टी के स्टैंड पर भले ही कुछ नहीं बोल पा रहे हों लेकिन ऑफ़ द रिकॉर्ड वह भी जाति जनगणना का समर्थन ही करते हैं क्योंकि वह भी पिछड़ों की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहते। यही वह बिंदु है जहां नीतीश और तेजस्वी की सियासी विचारधारा मिलती है।

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