झारखंड में सियासी बवंडरः भाजपा के तीन और यूपीए के पांच और एनसीपी के एक विधायक की सदस्यता पर लटकी है तलवार

सियासी गलियारों में अगर मगर-किंतु परंतु पर लगाए जा रहे कयास
रांचीः झारखंड में सियासी बवंडर थमने का नाम नहीं ले रहा। सीएम हेमंत सोरेन की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है। खनन लीज पट्टा मामले पर अब तक नोटिफिकेशन जारी नहीं होने से यूपीए खेमे में बेचैनी बढ़ गई। टेंशन कम करने के लिए पिकनिक पॉलिट्क्स लेकर विधायकों को इंटैक्ट रखने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही। इधर स्थिति और भी विकट हो गई है। भाजपा के तीन और सीएम हेंमत व बसंत सोरेन सहित यूपीए के पांच विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटकी हुई है। बीजेपी के विधायक भानु प्रताप शाही और एनसीपी के कमलेश सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और मनी लाउंड्रिंग के आरोप में सीबीआई व ईडी कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। वहीं बंधु तिर्की की सदस्यता रद्द की जा चुकी है। कांके के भाजपा विधायक समरी लाल की विधायिकी पर भी तलवार लटकी हुई है। समिति ने समरी लाल का जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया है, इससे साफ है कि विधायक बने रहने की उनकी योग्यता प्रभावित हुई है। वहीं दलबदल मामले में भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी भी लपेटे में हैं। 30 अगस्त को विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो के न्यायाधिकरण में मरांडी के खिलाफ सुनवाई की तिथि निर्धारित है। वहीं दूसरी ओर, कैश के साथ बंगाल में गिरफ्तार कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी व राजेश कच्छप को स्पीकर ने नोटिस दिया है, अगर, विस में बहुमत साबित करने के समय 6 विधायक कम रहे, तो इनमें से पांच यूपीए के होंगे। ऐसे में शेष विधायकों की संख्या 76 हो जाएगी। यदि स्पीकर को वोट देने की जरूरत न पड़ी तो यह संख्या 75 हो जाएगी, तब बहुमत का आंकड़ा 38 हो जाएगा। यूपीए समर्थित पांच विधायकों की अनुपस्थिति में भी 45 विधायक यूपीए के साथ हैं।

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