नीट परीक्षा रद्द कर उच्च स्तरीय जांच की मांग, पॉलिटिकल नेता दिलीप मिश्रा ने पीएमओ को लिखा पत्र

खूंटी:मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए आयोजित नीट परीक्षा में कथित धांधली का विरोध प्रदर्शन अब पूरे भारत में जोर पकड़ने लगा है। इसी कड़ी में झारखंड विकास मोर्चा खूंटी जिले के पूर्व जिला अध्यक्ष सह पॉलिटिकल नेता दिलीप मिश्रा ने नीट परीक्षा में हुए पेपर लीक पर परीक्षा रद्द करने,उच्च स्तरीय जांच करने और फिर से परीक्षा लेने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी को पत्र प्रेषित किया है।
उन्होंने यूजी परीक्षा 24 में एनटीए की सदेहास्पद भूमिका एवं कार्यप्रणाली के क्रियाकलाप की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
उन्होंने कहा है कि एनटीए द्वारा आयोजित की जाने वाली मेडिकल कॉलेज में प्रवेश हेतु नीट यूजी परीक्षा 2024 की पवित्रता पर कई सवाल खड़़े हो रहे हैं जो देशहित में एवं होनहार मेघावी छात्रों के भविष्य के साथ खेला जा रहा है।
एनटीए ने नीट परीक्षा का निबंधन बंद होने के बावजूद एक दिन के लिए रजिस्ट्रेशन खोला जो संदेह को जागृत करता है।
एक दिन के लिए रजिस्ट्रेशन विडो खोलने की गहन जाँच कराने की जरूरत है। एनटीए ने 9 फरवरी 2024 को निबंधन शुरू कराया था। अंतिम तिथि 9 मार्च 2024 की थी। जिसे 16 मार्च तक बढ़ाया गया निबंधन हेतु 24 दिन बाद 9 अप्रैल को एक दिन के लिए विडो क्यों खोला गया, यह जांच का विषय है।
एक ही केन्द्र पर परीक्षा देने वाले ज्यादातर छात्र टॉपर कैसे हो गये,जो जाँच का विषय है। नीट पेपर लीक के अलावा परीक्षा सेंटर में भी भारी गड़बड़ी हुई है,जो एक सोची समझी षड़यंत्र के तहत किया गया है। यह सब वरीय पदाधिकारियों की मिली भगत से ऐसा संभव हो सकता है।
एनटीए ने निष्पक्ष परीक्षा प्रक्रिया सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता के बारे में गंभीर चिंतन पैदा करता है। 1563 छात्रों को किस प्रावधान के तहत ग्रेस मार्कस दिया गया है, जो जाँच का विषय है। कुछ केन्द्रो में करीब 504 छात्रों का समय र्बवाद भी नहीं हुआ था, फिर भी उसे ग्रेस मार्कस किस प्रावधान के तहत दिया गया।
अब जब ग्रेस अंक वापस लिया गया तो फिर परीक्षा के लिए क्यों बच्चों को मजबुर किया जा रहा है।
किस अधिकारी के फैसले पर क्लैट में खराब समय होने के बदले ग्रेस अंक के फॉमूले के नीट में अपनाया गया। जबकि नीट की परीक्षा ऑफलाईन थी एवं क्लैट की परीक्षा ऑनलाईन आयोजित थी, जिसकी जाँच होनी चाहिए।
केन्द्रीय शिक्षामंत्री भारत सरकार धर्मेंद्र प्रधान के पद संभालते ही नीट मामले में क्लीन चिट दिया जाना दुर्भाग्य नहीं तो क्या है,फिर 24 घंटा के भीतर ही शिक्षामंत्री का बयान में परिवर्तन होना, कुछ तो गड़बड़ है।
शिक्षामंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया कि किस आधार पर वे नीट परीक्षा में क्लीन चिट दिये हैं।
श्री मिश्रा ने कहा कि 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने कार्यकाल में प्री मेडिकल बोड की परीक्षा में अनियमिता की बू आने पर रद्द करने का आदेश दिया था। उसी तरह प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को नीट की परीक्षा रद्द कर इसकी उच्चस्तरीय जांच कराया जाना चाहिए। इस बार नीट की परीक्षा में खुलेआम पैसा पैरवी का भी खेल खेला गया है। जिससे देश से भर के जो प्रतिभावान विद्यार्थी हैं जो नीट परीक्षा पास करने क्षमता रखते हैं। वैसे बच्चों के साथ अन्याय न हो उसका भविष्य सुरक्षित रहे।

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