पटना डीएम ने कार्यों में शिथिलता व संवेदनहीनता के आरोप में दानापुर सीओ व एक लोक प्राधिकार से किया स्पष्टीकरण*!

अनूप कुमार सिंह
पटना। बिहार लोक शिकायत निवारण जिला प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है!कार्यों में शिथिलता व लापरवाही बरतने वाले अफसरों व कर्मियों पर सख्त कार्रवाई होगी!उक्त बातें पटना डीएम डॉ चन्द्रशेखर सिंह ने कही।वे शुक्रवार को कार्यालय-कक्ष में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत द्वितीय अपील में बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 के तहत प्रथम अपील में शिकायतों की सुनवाई कर रहे थे। डीएम द्वारा लोक शिकायत निवारण में लापरवाही बरतने के आरोप में एक लोक प्राधिकार से स्पष्टीकरण किया गया।
डीएम द्वारा लोक शिकायत व सेवा शिकायत के कुल 10 मामलों की सुनवाई की गई। सात मामलों का ऑन द स्पॉट निवारण किया गया।वहीं तीन मामलों में अंतरिम आदेश पारित किया गया। लोक शिकायत के निराकरण में शिथिलता व संवेदनहीनता के आरोप में लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, दानापुर से स्पष्टीकरण किया गया। गौरतलब हो कि अपील करने वाली
मंजु पंडित, पति अशोक कुमार, पता ओटी पाड़ा, चिल्ड्रेन पार्क के नजदीक, जिला-कटिहार द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया था। अपीलार्थी की शिकायत ‘‘मौजा बड़ी खगौल में उनकी भूमि के आगे सरकारी भूमि को एक व्यक्ति के द्वारा अतिक्रमण कर लिए जाने व उनके आने-जाने का रास्ता बंद हो जाने’’ के संबंध में है।डीएम ने सुनवाई में पाया कि अंचल अधिकारी, दानापुर द्वारा इस मामले में पूरी तरह से मनमाने ढ़ंग से कार्य किया जा रहा है।पिछले 5 जनवरी को द्वितीय अपील में ही डीएम द्वारा उन्हें प्रश्नगत भूमि को एक माह के अंदर अचूक रूप से पूर्ण रूप से अतिक्रमण-मुक्त कराकर प्रतिवेदन देने का निर्देश दिया गया था। अंचल अधिकारी द्वारा एक साल पूर्व पारित आदेश का अनुपालन अभी तक नहीं किया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है। यह भू-खण्ड सर्वे खतियान में गैर-मजरूआ मालिक किस्म परती कदीम दर्ज है।जो पूर्णतः सरकारी भूमि है। फर्जी सादा हुकुमनामा द्वारा 3 डिसमिल रकबा के सरकारी भूमि को एक व्यक्ति द्वारा बाद में जोड़ा लिया गया है। गलत ढंग से दाखिल-खारिज करा कर जमाबंदी कायम करा ली गई है। वर्ष 2017 में ही अपर समाहर्ता, पटना के न्यायालय द्वारा विपक्षी व्यक्ति की जमाबंदी से इस 3 डिसमिल रकबा वाले खेसरा को हटाने का आदेश पारित किया गया था। साथ ही सरकारी भूमि को रैयती बताते हुए दाखिल-खारिज की गलत अनुशंसा करने के कारण राजस्व कर्मचारी व अंचल निरीक्षक के विरूद्ध एक पक्ष के अंदर प्रपत्र-क में आरोप पत्र गठित कर भेजने का आदेश अंचल अधिकारी को अपर समाहर्ता, पटना के न्यायालय द्वारा दिया गया था। जिलाधिकारी ने कहा कि वर्ष 2017 के इस आदेश का अभी तक सम्यक अनुपालन नहीं किया गया है। यह अत्यंत आपत्तिजनक है। आज की सुनवाई में पाया गया कि अंचल अधिकारी, दानापुर द्वारा प्रतिवेदन भी अस्पष्ट व भ्रामक दिया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि अंचल अधिकारी की यह कार्यशैली अत्यंत आपत्तिजनक है। लोक प्राधिकार का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। उनकी इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का इतने वर्ष में भी समाधान नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता व संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। लोक शिकायत के मामलों में असंवेदनशीलता प्रदर्शित करने व शिकायत निवारण में विलंब के कारण डीएम द्वारा लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, दानापुर से स्पष्टीकरण किया गया। उन्होंने कहा कि सरकारी भूमि पर गलत जमाबंदी तत्कालीन राजस्व कर्मचारी, अंचल निरीक्षक व अंचल अधिकारी की रैयत से मिली-भगत को दर्शाता है। जमाबंदी रद्दीकरण के आदेश के बाद भी कोई सार्थक कार्रवाई अंचल अधिकारी के स्तर से नहीं किया जाना विस्तृत जाँच का विषय है। जिलाधिकारी द्वारा अनुमंडल पदाधिकारी, दानापुर को सभी बिन्दुओं पर गहन जाँच करते हुए जाँच प्रतिवेदन यथाशीघ्र देने का निर्देश दिया गया। उन्होंने कहा कि जाँच प्रतिवेदन के आधार पर दोषी सभी पदाधिकारियों व कर्मचारियों के विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी ने सभी संबंधित पदाधिकारियों को सुनवाई की अगली तिथि को कृत कार्रवाई प्रतिवेदन के साथ उपस्थित रहने का निर्देश दिया।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि लोक शिकायतों एवं सेवा शिकायतों का ससमय तथा गुणवत्तापूर्ण निवारण अत्यावश्यक है। लोक प्राधिकारों को तत्परता प्रदर्शित करनी होगी।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 एवं बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहें।

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