कोचिंग संस्थानों की वजह से एक भी बच्चे मेडिकल या इंजीनियर नहीं बनते हैं:पासवा

रांची: झारखंड प्रदेश पासवा अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने आज फिर कहा है कि कोचिंग संस्थानों की वजह से बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं, कोटा में रांची नामकुम की बच्ची का सुसाइड करना कोचिंग इंस्टिट्यूट की पूरी तरह से भागीदारी है। पासवा अध्यक्ष ने बच्ची की माता से मोबाइल पर बात की है, रोते हुए बच्ची की मां ने कहा जिस बच्ची को भविष्य गढ़ने के लिए कोटा भेजा था उस बच्ची का कोटा में अंतिम संस्कार कर और दिल्ली में अस्थियां विसर्जित की है।परिजनों के कल वापस रांची लौटने की संभावना है।
एक ओर बच्चों में पढ़ाई के दबाव को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति के तहत पढ़ाई के दबाव को कम करने के लिए सरकार प्रतिदिन नीतियां तैयार कर रही है; वहीं ये कोचिंग इंस्टिट्यूट बच्चों में कोर्स का अनावश्यक दबाव बनाकर एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा का अनावश्यक दबाव बनाने की कोशिश कर रही है।
ज्ञात हो इसी कारण अभी पिछले दिनों कोटा में सरकार ने कोचिंग इंस्टिट्यूट के द्वारा प्रतिस्पर्धा के नाम पर लिए जाने वाले सभी टेस्ट पर रोक भी लगा दिया था।
वास्तव में यदि ध्यान से देखा जाए तो इन कोचिंग संस्थानों से सक्सेस का रेट शून्य प्रतिशत है जो भी बच्चे सफल होते हैं वह खुद के मेहनत से सफल होते हैं।
दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन कोचिंग संस्थानों के शिक्षकों के लिए कोई डिग्री की अनिवार्यता नहीं होती इसलिए ज्यादातर कोचिंग संस्थानों के शिक्षकों के पास शैक्षणिक डिग्री का भी अभाव होता है। कई बार मैट्रिक और इंटर पास शिक्षक इन कोचिंग संस्थानों में बच्चों को पढ़ते नजर आते हैं ।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इन कोचिंग संस्थानों के लिए उनके शिक्षकों के लिए डिग्री का मापदंड तैयार किया जाना चाहिए तथा सरकार को इनके शिक्षकों की डिग्री की भी जांच करनी चाहिए।
आलोक दूबे ने कहा कोचिंग संस्थान सिर्फ व्यवसाय करती है देश भर के कोचिंग संस्थान चलाने वाले व्यापारी झारखंड में अपना दलाल छोड़कर रखे हुए हैं और 10 वीं पास करते ही अपने संस्थान में दाखिला लेने के लिए विवश करते हैं,इतना ही नहीं अब तो कक्षा 9 से ही कोचिंग संस्थान बच्चों को अपने गिरफ्त में लेते हैं। पासवा अध्यक्ष ने कहा कोचिंग संस्थानों की वजह से एक भी बच्चे मेडिकल या इंजीनियर नहीं बनते हैं, मेडिकल इंजीनियर बनने वाले बच्चे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के होते हैं, अपनी मेहनत और लगन से बच्चे मेडिकल, इंजीनियर और यूपीएससी की परीक्षा पास करते हैं। कोचिंग संस्थानों ने झारखंड को चारागाह बना लिया है, पढ़ाई लिखाई से इनका कोई दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है। झारखण्ड सरकार अविलम्ब कोचिंग संस्थानों के लिए नियमावली बनाये, स्कूल संचालन का समय सुबह 8.00 बजे से शाम 5.00 बजे तक कोचिंग नहीं चलने चाहिए,बच्चों की स्कूलों में शत प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित की जानी चाहिए।

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