पार्ट वनः गणादेश आज खोल रहा है पूजा सिंघल के कारनामों का कच्चा चिट्ठा, कैसे मिली क्लीन चिट,

किस परिस्थिति में अपर मुख्य सचिव रैंक के अफसर ने दी क्लीन चीट
आखिर पूर्व सीएम रघुवर दास पूजा सिंघल के मामले में क्यों हैं चुप
रांचीः झारखंड की ब्यूरोक्रेशी में एक एक बड़ा सवाल उठ रहा है कि आखिर रघुवर सरकार में पूजा सिंघल को कैसे क्लीन चिट मिल गई। किन परिस्थितियों में संचालन पदाधिकारी सह अपर मुख्य सचिव रैंक के अफसर एपी सिंह ने जांच कर क्लीन चिट दिया। अब चर्चा इस बात की भी हो रही है कि पूजा सिंहल को चतरा और खूंटी मामले में सरकार का क्लीन चिट रघुवर दास के कार्यकाल में ही मिली थी। अब भाजपा के नेता हेमंत सरकार पर तंज कस रहे हैं। बहरहाल जो भी हो गणादेश परत दर परत खोल रहा है पूजा सिंघल के कारनामों का कच्चा चिट्ठा।
कार्मिक विभाग के ज्ञापन संख्या 3031 तिथि 26 मार्च 2014 में चतरा की तत्कालीन डीसी पूजा सिंघल के पदस्थापन के दौरान बरती गई अनियमितता के लिए आर्टिकल्स ऑफ चार्ज इंप्यूटेशन ऑफ मिसकंडक्ट एंड मिसबिहेवियर तथा पक्षियों की तालिका निर्गत की गई
पहला आरोपः चतरा जिले में मनरेगा योजना के क्रियान्वयन के लिए बिना प्रक्रिया का पालन किए एनजीओ का चयन किया गया। जिसमें उपायुक्त द्वारा स्वीकृति दी गई
दूसरा आरोपः चतरा जिले में मनरेगा योजना के सक्षम तकनीकी स्वीकृति प्राप्त किए बिना तथा योजना की तलवार सूची के बिना योजना की आवश्यकता का आकलन किए बिना योजना की स्वीकृति उपायुक्त द्वारा दे दी गई
तीसरा आरोपः चतरा जिले में योजना की स्वीकृति के साथ ही एनजीओ को अग्रिम स्वरूप वेलफेयर पॉइंट को 15 फरवरी 2008 को चार करोड़ रुपए तथा निकेतन को 14 मई 2008 को दो करोड़ की स्वीकृति उपायुक्त द्वारा दी गई
चौथा आरोपः योजना का निरीक्षण एवं अनुश्रवण के लिए उचित व्यवस्था नहीं थी जिस कारण संस्थाओं द्वारा मनरेगा के मार्गदर्शिका का उल्लंघन करते हुए भुगतान किया गया
पांचवां आरोपः मनरेगा योजना की मापी के लिए किसी कार्यपालक अभियंता को जिम्मेवारी नहीं दी गई थी
छठा आरोपः मनरेगा योजना पर स्थल जांच की गई तो अनेक योजनाओं में जिनके विरूद्ध एनजीओ के लिए राशि का भुगतान किया गया जो योजना वास्तव में क्रियान्वित नहीं थे
सातवां आरोपः उपायुक्त द्वारा जिला में योजनाओं का कार्य नहीं कराया गया तथा योजनाओं को आवश्यक मंजूरी प्रदान करने के पूर्व अपेक्षित प्रशासनिक अनापत्ति दर्ज नहीं की गई कार्यक्रम अधिकारियों एवं कार्य एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित नहीं किया गया तथा योजनाओं का निरीक्षण भी सुनिश्चित नहीं किया गया इस प्रकार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 की धारा 14 की उप धारा दो का उल्लंघन किया गया जिला कार्यक्रम समन्वयक के रूप में योजनाओं के कार्य एवं उनके के निमित्त रखी गई निधि के उचित उपयोग एवं प्रबंधन का कार्य उत्तरदायित्व पूर्ण तरीके से नहीं किया गया जो राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 की धारा 23 का उल्लंघन है
आठवां आरोपः जिला कार्यक्रम समन्वयक के द्वारा शिकायतों का अन्वेषण कराया गया और ना ही निधि के निर्मोचन को रोकने संबंधी कोई आदेश निर्गत किया गया जो राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 की धारा 27 का उल्लंघन है
क्या था कार्मिक विभाग का आदेश
इस मामले में कार्मिक विभाग के संख्या 2657 के द्वारा पूजा सिंघल के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के संचालन के लिए अमरेंद्र प्रताप सिंह को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया। इसके बाद एपी सिंह ने द्वारा विभागीय कार्यवाही के संचालन के उपरांत जांच प्रतिवेदन समर्पित किया गया जिसमें सिंघल के विरुद्ध गठित सभी आरोपों को प्रमाणित नहीं माना गया, संचालन पदाधिकारी से प्राप्त जांच प्रतिवेदन की समीक्षा राज्य सरकार द्वारा पूजा सिंघल के विरुद्ध गठित आरोपों से मुक्त करते हुए उनके विरुद्ध चलाई गई विभागीय कार्यवाही को समाप्त करने का निर्णय लिया गया। कार्मिक ने इसका आदेश 27 फरवरी 2017 को जारी किया

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