अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस कार्यक्रम में छात्राओं ने लिया बढ़चढ़ कर भाग
खूंटी: कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय मुरहू में बुधवार को झारखण्ड महिला उत्थान एवं कैलाश सत्यार्थी चाइल्ड फाउंडेशन के सहयोग से अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस कार्यक्रम का जिला स्तरीय आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि उप प्रमुख अरुण साबू एवं जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी अलताफ ने संयुक्त रुप से किया। इस दौरान भुवन ऋभु की किताब ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज’ का लोकार्पण किया गया। मौके पर उप प्रमुख ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर पूरे देश में चल रहे ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान बहुत ही अच्छा कदम है। बाल विवाह से सबसे ज्यादा प्रभावित 300 से ज्यादा जिलों में नागरिक समाज और महिलाओं की अगुआई में चल रहे बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बेहद अहम दस्तावेज के रूप में यह किताब एक समग्र वैचारिक आधार, रूपरेखा और कार्ययोजना पेश करती है। इस अभियान का लक्ष्य 2030 तक बाल विवाह का पूरी तरह खात्मा और इस तरह हर साल 15 लाख बच्चियों को बाल विवाह से बचाना है। अभियान खास तौर से देश में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा सरकारी नीतियों और कानूनों के क्रियान्वयन पर केंद्रित हैं।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि बाल विकास परियोजना पदाधिकारी स्नेहलता ने कहा बाल विवाह की चुनौती का सामना करने के रास्ते में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। लेकिन बहुत कुछ बाकी है ।क्योंकि देश अभी उस टिपिंग प्वाइंट यानी उस बिंदु पर नहीं पहुंच पाया है जहां छोटे बदलावों और घटनाओं की श्रृंखला इतनी बड़ी हो जाती है जो एक बड़ा और आमूल परिवर्तन कर सकें। भारत में बाल विवाह की मौजूदा दर 23.3 प्रतिशत है और यूनीसेफ का अनुमान है कि अगर पिछले दस साल से हुई प्रगति जारी रही तो 2050 तक जाकर भारत में बाल विवाह की दर घट कर छह प्रतिशत पर आ पाएगी। यह एक परेशान करने वाला आंकड़ा है और इसका मतलब है कि 2023 से लेकर 2050 के बीच सात पीढ़ियों तक बाल विवाह का दंश बच्चों से उनका बचपन छीनता रहेगा। इस अवसर पर गैर सरकारी संगठन झारखण्ड महिला उत्थान के नीलम बेसरा ने बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन’ को एक सामयिक और अहम हस्तक्षेप बताते हुए कहा, “नागरिक समाज और सरकार, दोनों ही बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरे समर्पण से काम कर रहे हैं। लेकिन हमारे तमाम प्रयासों के बावजूद अब भी बड़ी तादाद में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं और इस अपराध से मुकाबले के लिए जब तक हमारे पास एक समन्वित योजना नहीं होगी, तब तक बाल विवाह के खिलाफ टिपिंग प्वाइंट के बिंदु तक पहुंचना एक मुश्किल काम होगा। यह किताब 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने का एक रणनीतिक खाका पेश करती है। इस कार्यक्रम बीस सुत्री अध्यक्ष सनिका पाहन, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी स्नेहलता कुजुर तथा जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी अलताफ जी अन्य गणमान्य लोग भी मौजूद थे।