1990 बैच के भारतीय डाक-तार लेखा एवं वित्त सेवा के अफसर निरंजन कुमार की बढ़ी मुश्किलें

ज्रेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार पर और कसा शिकंजा
ED ने 170 करोड़ के अवैध भुगतान मामले में विभाग से मांगा कार्यकाल का ब्योरा

रांचीः 1990 बैच के भारतीय डाक-तार लेखा एवं वित्त सेवा के अफसर निरंजन कुमार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। निरंजन कुमार झारखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (ज्रेडा) के पूर्व निदेशक हैं। पूर्व निदेशक पर सरकारी नियमों को ताक पर रखकर नौकरी करने, सरकारी खातों से 170 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान करने सहित कई गंभीर आरोप हैं। इस मामले में पूर्व निदेशक निरंजन कुमार सहित तीन अधिकारियों के खिलाफ ईडी ने अपनी जांच तेज कर दी है। ईडी ने झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड से निरंजन कुमार के कार्यकाल का डिटेल्स मांगा है। ईडी ने निगम से यह भी जानकारी मांगी है कि निरंजन कुमार के कार्यकाल में कितने टेंडर फाइनल हुए, क्या काम हुआ और किन-किन योजनाओं पर काम हुआ।

सीएम के आदेश पर दर्ज की गई थी प्राथमिकी
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में 21 दिसंबर 2020 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मुख्यमंत्री ने 23 अक्टूबर 2020 को एसीबी की पीई रिपोर्ट, विभाग के मंतव्य की समीक्षा के बाद प्राथमिकी दर्ज करने संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति दी थी। तीनों पदाधिकारियों पर पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार करने के आरोपों की प्रारंभिक जांच में पुष्टि हो गई थी। बाद में ईडी ने जिन पर प्राथमिकी दर्ज की, उनमें निरंजन कुमार के अलावा तत्कालीन परियोजना निदेशक अरविंद कुमार बलदेव प्रसाद और ज्रेडा में प्रतिनियुक्त रहे विद्युत कार्यपालक अभियंता श्रीराम सिंह शामिल हैं।
अपनी अहर्ता भी बताई गलत
दर्ज प्राथमिकी के अनुसार निरंजन कुमार पर यह आरोप है कि वे 1990 बैच के भारतीय डाक-तार लेखा एवं वित्त सेवा के अधिकारी हैं। उन्होंने तीन सितंबर 2016 को प्रतिनियुक्ति के आधार पर झारखंड में योगदान दिया था। आरोप है कि वे बिना अर्हता पूरी किए पुराने परिचय का दुरुपयोग कर झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड व ज्रेडा के निदेशक पद पर बने रहे। जबकि, इस पद पर आइएएस रैंक के अधिकारी को रखने का प्रावधान है, जिसके पास इस क्षेत्र में पांच साल का अनुभव होना आवश्यक है।
शर्तो को पूरा नहीं करने वाली कंपनी को भी ठेका
दर्ज प्राथमिकी के अनुसार आरोपियों ने वैसी कंपनियों को भी ठेका दिया, जो शर्तों को पूरा नहीं करती थी। नियमों को ताक पर रखकर ठेका बांटा गया। जो निर्माण कार्य नहीं करती थी, उस कंपनी को भी निर्माण कार्य का ठेका दिया गया। 12 अगस्त 2017 और 25 जुलाई 2017 को दो ठेका मेसर्स शौर्य एनर्जी सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड केरल को दिया गया था। इस कंपनी ने ठेका में 5.40 लाख रुपये व 3500 रुपये का दो फर्जी बैंक गारंटी दिया। इसके बावजूद उक्त कंपनी की न तो सिक्यूरिटी मनी जब्त हुई और न ही उसे ब्लैक लिस्ट ही किया गया।
अपने नाम की कंपनी खोल ठेका दिया
छानबीन में यह भी पता चला है कि ज्रेडा और ऊर्जा निगम के कई अधिकारियों ने अपने लोगों के नाम पर कंपनी खोलकर उन्हें ठेका दे दिया। इन कंपनियों में आदित्य कंस्ट्रक्शन हैदराबाद, मेसर्स मिलेनियम कंपनी, सोलर कंपनी शामिल हैं। सोलर पैनल लगाने में भी भ्रष्टाचार किया गया है।
टीवीएनएल के अतिरिक्तच प्रभार में भी रहे
दर्ज प्राथमिकी के अनुसार झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक निरंजन कुमार के पास दिसंबर 2018 में टीवीएनएल का अतिरिक्त प्रभार भी था। इस दौरान उन्होंने 884.50 लाख रुपये स्वीकृत किया। वेतन व पेंशन मद में 62 लाख 98 हजार 373 रुपये, वेतन व पेंशन मद में 62 हजार 96 रुपये, अन्य मद में एक लाख 50 हजार 319 रुपये, 73 लाख 28 हजार 203 रुपये 14 सितंबर 2018 को जारी किया। इसके अलावा 11 सितंबर 2018 को 41 लाख 29 हजार 543 रुपये जारी किए।

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