आधुनिक संचार प्रणाली वैश्विक परिदृश्य में क्रांतिकारी कदम : डॉ. डीपी दास

रांची: डोरण्डा महाविद्यालय के स्नातकोत्तर भौतिकी विभाग में मॉडर्न कम्युनिकेशन सिस्टम विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ बी पी वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित की गई । व्याख्यानमाला के मुख्य वक्ता भौतिकी के वरीय प्राध्यापक सह बी आर ए बिहार विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ दुर्गा पद दास के रूप में उपस्थित रहें।
प्राचार्य डॉ वी पी वर्मा ने कहा कि इस प्रकार के लेक्चर व सेमिनार से विद्यार्थीयों एवं शिक्षकों के ज्ञान में नया आयाम जुड़ता है। साथ ही उन्होंने सभी को प्रोत्साहित करते हुये कहा की भविष्य में हम सभी नेशनल सेमिनार आयोजित करेंगे।
व्याख्यानमाला के मुख्य वक्ता डॉ दुर्गा पद दास ने भौतिकी विभाग के यूजी एवं पीजी के छात्र – छात्राओं को संबोधित करते हुए प्रारंभ से आज तक के संचार प्रणाली पर प्रकाश डालते हुए बतलाया कि पहले संचार का माध्यम संदेशवाहक, पक्षियों एवं घोड़ा जैसे जानवरों पर निर्भर था, लेकिन मोर्स नामक वैज्ञानिक द्वारा आविष्कृत टेलीग्राफ ने संचार प्रणाली में तार के माध्यम से संचार दूर तक भेजने में सफल हुआ।उन्होंने बतलाया कि जब मार्कोनी ने रेडियो का आविष्कार किया तो रेडियो तरंगों के माध्यम से संचार के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम आया।उन्होंने कहा कि आज का संचार तकनीक वैश्विक परिदृश्य में क्रांतिकारी कदम है जिसके माध्यम से राँची में रहकर पूरे दुनिया का समाचार घर बैठे देख या सुन सकते हैं इसके पीछे सेटेलाइट एवं जियो स्टेशनरी का प्रमुख योगदान है। उन्होंने कहा कि आगे चलकर डिजिटल संचार प्रणाली के संकेतों को सेलुलर ट्रांसमिशन के रूप मोबाइल के माध्यम से पूरी दुनिया को मुठी में लाया जा सका।
उन्होंने संचार के माध्यमों रेडियो, टेलीग्राफ, एंटीना, वेभ जोन, आडियो-विडियो, साउंड वेभ, पिक्चर्स ट्रांसमिशन, वायरलेश कम्युनिकेशन, इलेक्ट्रिकल वाइभ्रेशन, स्पीच कनभ्रजन, केरियर वेभ को विस्तार से बतलाया। उन्होंने यह भी बतलाया की किस प्रकार से कम्युनिकेशन में एम्लीटीयुड, फ्रीकयुन्सी और फेज माडयुलेशन को परिभाषित व क्रियान्वित करता है। छोटे से रेडियों से हम पूरे वर्ल्ड को सुन लेते है जिसके पीछे सेटेलाइट वेभ व सेटेलाईट क्मयुनिकेशन का होना है। उन्होंने रेडियों के उस परिस्थिति को बतलाया जिसमें रेडियों काम नहीं करता है जिसका कारण स्कीप डिस्टेंश होता है। सेटेलाईट कम्युनिकेशन जो ग्रह की परिक्रमा करे जो नेचुरल है लेकिन अब हम आर्टिफिशियल सेटेलाईट व जीयोस्टेशनरी सेटेलाईट भी भेजते हैं और इसप्रकार के तीन सेटेलाईट मिलकर पूरे पृथ्वी को कभर करता है। इसके बाद मोबाइल कम्युनिकेशन के बारे मे बतलाया। उन्होंने एफ एम और ए एम की तुलना मे एफ एम क्यों कम नोआजी होता है यह भी बतलाया। वर्तमान समय में हम सभी डिजिटल सिग्नल के तहत क्मयुनिकेशन को स्थापित किया है।
लेक्चर में डाॅ अरूण कुमार, डाॅ मिथिलेश कुमार, डाॅ ओम प्रकाश सहित शिक्षक उपस्थित रहे।
व्याख्यानमाला का विषय प्रवेश एवं स्वागत भाषण भौतिकी के विभागाध्यक्ष डॉ ब्रजेश कुमार ने किया।
लेक्चर का संचालन विभाग की प्राध्यापिका डाॅ नूतन लता व धन्यवाद ञापन बाॅटनी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मलय भारती ने किया।

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