स्थानीय एवम नियोजन नीति, सत्ता प्रायोजित भ्रष्टाचार,ध्वस्त विधि व्यवस्था ,तुष्टिकरण नीति सहित अन्य ज्वलंत मुद्दों को सदन में मुद्दा बनाएगी भाजपा:बाबूलाल

रांची: भाजपा प्रदेश कार्यालय में सोमवार भाजपा विधायक दल की बैठक प्रदेश अध्यक्ष एवम सांसद दीपक प्रकाश की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में नेता विधायक दल एवम पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी,क्षेत्रीय संगठन महामंत्री नागेंद्र त्रिपाठी,प्रदेश संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह सहित विधायक जेपी पटेल ,सीपी सिंह, नवीन जयसवाल, मनीष जयसवाल, अमित मंडल, राज सिन्हा, अमर बावरी,किशुन दास, नारायण दास, बीरांची नारायण, शशिभूषण मेहता,कोचे मुंडा, अपर्णा सेनगुप्ता,नीरा यादव, पुष्पा देवी आलोक चौरसिया केदार हाजरा नीलकंठ सिंह मुंडा,अनंत ओझा, रामचंद्र चंद्रवंशी,समरी लाल,शामिल हुए।

बैठक के बाद मीडिया से बात करते नेता विधायक दल एवम पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि भाजपा सदन से सड़क तक राज्य के साढ़े तीन करोड़ जनता की आवाज है।

श्री मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य को नियोजन नीति विहीन बना दिया है। राज्य सरकार की नीति और नीयत में खोट है। इनकी मंशा साफ नही है। इन्होंने 1932के नाम पर युवाओं को सिर्फ धोखा दिया है। जबकि राज्यपाल की टिप्पणी के बाद इन्हें महंगे वकीलों ,कानूनविदों से करोड़ों फीस देकर भी सलाह लेने से परहेज नहीं करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है। भ्रष्टाचारियों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है। तभी तो ईडी की कारवाई के बाद भी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल पर राज्य सरकार ने मुकदमे दर्ज नहीं किए। कुछ दिन पूर्व ईडी की कारवाई में गिरफ्तार मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम पर एसीबी की अनुशंसा के बाद भी करवाई नही होना इसका ताजा उदाहरण है।
उन्होंने भ्रष्टाचार का बखान करते हुए कहा कि जिस राज्य में लोग बुनियादी सुविधाओं केलिए तरसते हों वहां भ्रष्टाचार की कमाई से महंगे कंपनी का पानी पीना,ब्रांडेड कपड़ों का दुरुपयोग करना भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है।

उन्होंने राज्य के ध्वस्त विधि व्यवस्था पर बोलते हुए कहा कि भाजपा लगातार इसके खिलाफ आवाज बुलंद कर रही है।अब तो बड़कागांव के विधायक प्रतिनिधि की नृशंस हत्या के बाद सत्ताधारी कांग्रेस के विधायक एवम नेताओं ने भी राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

कहा कि हर दिन आदिवासी और मूलवासी के हितैषी होने का दंभ भरने वाले हेमंत सोरेन ने 27 फरवरी से 24 मार्च तक विधानसभा का सत्र आहूत किया है।
24 मार्च को आदिवासियों का महापर्व सरहुल है।
अब इस महापर्व के दिन सत्र बुलाने का क्या औचित्य है?
इन्हें आदिवासी धर्म-संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है। ये तो लूटने और पकड़े जाने पर आदिवासी होने की दुहाई देकर बचने के लिये के ही अपनी जाति का इस्तेमाल करते हैं।

तुष्टिकरण की पराकाष्ठा ने राज्य में बहुसंख्यक समुदाय के पर्व त्योहार पर भी ग्रहण लगा दिया है।

श्री मरांडी ने कहा कि भाजपा विधानसभा के चालू बजट सत्र में राज्य के सभी ज्वलंत मुद्दों पर सरकार को घेरेगी। भाजपा के सदस्य सदन में उपस्थित होकर सरकार को जवाब देने केलिए मजबूर करेंगे।

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