श्रीकृष्ण की तरह क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि हरें पीड़ा : अलीशा

मुंगेर : महान धार्मिक उत्सव के रूप में हर साल देश भर से निकाली जाने वाली रथयात्रा यहां भी महावीर स्थान और कष्टहरणीघाट से मंगलवार को निकाली गई। वास्तव में अवतार पुरुष श्रीकृष्ण के द्वारिकापुरी की वह शासन-व्यवस्था है, जिसके अनुसार वे हर युग के राजा, महाराजा तथा वर्तमान लोकतंत्र के जन-प्रतिनिधियों के लिए आदर्श पदचिन्ह बना गये हैं, जिसका अनुशरण कर वे अपने अपने क्षेत्र की प्रजा के कष्ट दूर कर स्वयं भी आत्मिक सुख अनुभव करें। साहित्यकार एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला शाखा मुंगेर के अध्यक्ष मधुसूदन आत्मीय ने छात्राओं के समक्ष यह उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि द्वापर युगीन श्रीकृष्ण, बहन सुभद्रा व अग्रज बलराम के नगर-भ्रमण के उद्देश्य पर आप लोग अपने विचार व्यक्त करें।
तब बीए ऑनर्स की छात्रा अलीशा परवीन ने कहा कि कलियुग के आधुनिक राजा-महाराजा अर्थात् विधायक और सांसदों में सेवा की भावना खत्म हो गयी है। अपने चुनाव क्षेत्र के नागरिकों की पीड़ा मिटाने की उम्मीद पर मतदाता उन्हें वोट देते हैं, लेकिन वे जनता के विश्वास के साथ छल करते हैं।
अन्य छात्रा अंशुप्रिया ने कहा कि दो भाइयों के साथ बहन सुभद्रा का जन-संपर्क यह संदेश देता है कि राजा के साथ उसके परिवार को भी प्रजा के दुखों के संवेदनशील होना चाहिए। छात्रा कोमल कुमारी ने कहा कि भगवान के प्रति आस्थावान रहने के लिए ऐसे धार्मिक उत्सवों से मन को नई ऊर्जा मिलती है।
राम, कृष्ण, शिव तथा मां दुर्गा व काली भारत की सांस्कृतिक अस्मिता हैं। यह कहती हुई छात्रा तन्नु कुमारी ने कहा इनका स्मरण और उपासना जीवन को अनुशासित रखने के लिए जरुरी है। अन्य छात्रा खदीजा ने पैगंबर की तरह राम, कृष्ण के आगमन को इंसानों को सही रास्ता दिखाने वाला बताया। नंदिनी कुमारी ने मंगलवार को शहर में निकलने वाली रथयात्रा में प्रसाद चढ़ाने की इच्छा जाहिर की।

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