जेएसएमडीसी का बड़ा खेलः हर साल पांच लाख टन कोयला का अवैध कारोबार

सालाना अवैध कारोबार से 25 करोड़ रुपए का हो रहा वारा न्यारा
बनारस और डेहरी ऑन सोन की मंडिया में खपाया जा रहा अवैध कोयला
ईडी ने तरेरी हैं आंखे, अफसर, कांट्रैक्टकर्मी के साथ योजनाओं के प्रबंधक हैं रडार पर

रांचीः झारखंड खनिज विकास निगम(जेएसएमडीसी) में कोयले का बड़ा खेल चल रहा है। इसमें अफसर से लेकर कांट्रैक्ट कर्मी भी शामिल हैं। इडी ने अब इन पर भी अपनी आंखें तरेरी हैं। पुख्ता सूत्रों के अनुसार हर साल कोयला का अवैध कारोबार 25 करोड़ रुपए से अधिक का हो रहा है। लगभग पांच लाख टन कोयला अवैध रूप से बनारस और डिहरी ऑन सोन की मंडियों में पहुंचाया जा रहा है। ईडी को यह भी जानकारी मिली है कि जेएसएमडीसी की तरफ से रामगढ़, हजारीबाग बोकारो और धनबाद जिले से कोयला फैक्ट्रियों को जेएसएमडीसी के माध्यम से प्रतिमाह दिया जाता है । हर साल पांच लाख टन से अधिक कोयला इन फैक्ट्रियों को अवैध रूप से दिया जाता है। सुत्रो के अनुसार इस खेल के पीछे एक संगठित गिरोह का काम करना बताया जा रहा है। वहीं प्रति टन 300 से 500 रुपए की वसूली भी की जाती है। यही वजह है कि ईडी के रडार में जिला खनन पदाधिकारी और जेएसएमडीसी के माइंस एजेंट, कोयला प्रभारी और उनके अधीनस्थ कर्मी ईडी की रडार में हैं।
कैसे हो रहा है खेल
जेएसएमडीसी के जरीए जो फैक्ट्रियों के लिए कोयला दिया जाता है। उसकी कीमत लगभग 4500 रुपए प्रति टन होती है। लेकिन इस कोयला को बनारस और डेहरी ऑन सोन की मंडियों में 10 हजार रुपए प्रति टन की दर से बेचा जा रहा है । सूत्रों के अनुसार हर दिन झारखंड से लगभग 200 ट्रकों से अधिक का कोयले का अवैध कारोबार होता है। एक ट्रक को बनारस की मंडी तक पहुंचाने के लिए 13 से 14 हजार रुपए खर्च होते हैं। इससे पहले भी रामगढ़ में इस अवैध कारोबार को लेकर काफी गड़बड़ियां सामने आई थींष जिसमें जेएसएमडीसी के कांट्रैक्ट कर्मी से लेकर जीएम माइंस तक आरोप लगे थे
भूतत्ववेत्ता प्रवीर कुमार पर आज तक नहीं हुई कार्रवाई
जेएसएमडीसी के भूतत्ववेत्ता प्रवीर कुमार के खिलाफ अब तक कार्रवाई नहीं हुई। प्रवीर कुमार 2006 से लेकर 2017 तक कोल ट्रेडिंग का काम देखते रहे थे. फिलहाल इन्हें मुख्यालय से सिंकनी कोल परियोजना में पदस्थापित किया गया है. इन पर आरोपो की पुष्टि भी हुई थी. सरकार ने सीडब्ल्यूजेसी 2053 ऑफ 1994 में भी पुष्टि की है. कई मामलों में इनके वेस्टेड इंटरेस्ट के मामले भी प्रकाश में आये. पर किसी भी मामले को लेकर भूतत्ववेत्ता पर कार्रवाई तक नहीं हुई.
राजभवन ने भी मांगी थी रिर्पोट
राजभवन ने भी इस मामले में रिर्पोट मांगी थी। राज्यपाल सचिवालय से जारी पत्रांक 193, दिनांक 25.1.2015 के आधार पर सिंकनी कोल परियोजना में कोयले की दर का निर्धारण करने, ई-ऑक्शन, ई-चालान, औऱ् डीओ परिवहन में घूसखोरी का आरोप मामले पर रिपोर्ट मांगी गयीथी. साथ ही साथ अनियमितता के आरोप की जांच विभागीय समिति द्वारा करने के बाद झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड को भेजी गयी रिपोर्ट पर कार्रवाई करने की बातें भी कही गयी. जांच प्रतिवेदन के आधार पर चिह्नित कर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र गठित करने का अनुरोध करते हुए स्पष्टीकरण देने को कहा गया था. इस पत्र को ही जेएसएमडीसी कार्यालय में दबा दिया गया.

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