सीएम से ईडी की पूछताछ के दौरान सीआरपीएफ की एंट्री पर भड़का झामुमो,कानूनी कारवाई की मांग की

रांची: जमीन घोटाले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ईडी की पूछताछ के दौरान सीएम कार्यालय के बाहर सीआरपीएफ के पांच सौ से अधिक जवानों को उतारे जाने पर झामुमो केंद्र सरकार और भाजपा पर हमला किया है। साथ ही राज्य सरकार से सीआरपीएफ के आईजी कमांडेंट पर कानूनी कार्रवाई की मांग किया है। रविवार को झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता बिनोद पाण्डेय और सुप्रियो भट्टाचार्य ने संयुक्त रूप से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस बात का उल्लेख किया है।
पत्र के माध्यम से झामुमो नेताओं ने कहा है कि
केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों के पक्षपातपूर्ण कार्रवाई के विरुद्ध आम जनता एवं कार्यकर्ताओं के द्वारा इस अवसर पर धरना प्रदर्शन भी किया जा रहा था जिसके मध्य नजर जिला प्रशासन के द्वारा धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू किया गया था। इसी बीच अचानक सीआरपीएफ के 500 से अधिक जवानों को बिना किसी अनुमति या सूचना के मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश करने का प्रयास करने लगे। साथ ही झामुमो कार्यकर्ताओं से उलझने भी लगे। विधि व्यवस्था के इतने संवेदनशील समय एवं स्थान पर जिला प्रशासन की अनुमति के बिना और बिना सूचना दिए इतनी बड़ी संख्या में सीआरपीएफ बल का क्षेत्र में प्रवेश करना एक भड़काऊ एवं गैर कानूनी कार्य है। झामुमो कार्यकर्ताओं ने यदि संयम का परिचय नहीं दिया होता तो हिंसक स्थिति उत्पन्न हो सकती थी।
उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ का यह कार्य एक सोची समझी साजिश थी जिसमें सीआरपीएफ के आईजी भी शामिल थे। वह चाहते थे कि सीआरपीएफ एवं प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट हो जाए तथा प्रदर्शनकारी उग्र होकर सीआरपीएफ पर हमला करें तो राज्य सरकार पर संवैधानिक तंत्र की सफलता का आरोप लगाया जा सके और राष्ट्रपति शासन लगाने की भूमिका तैयार की जा सके। सीआरपीएफ कभी भी जिला प्रशासन के अनुमति के बिना किसी भी प्रकार की विधि व्यवस्था का कार्य नहीं कर सकती है।इससे स्पष्ट है कि सीआरपीएफ ने यह कार्रवाई साजिशन केंद्र सरकार के इशारे पर किया जो राज्य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास है तथा संघीय ढांचे पर एक कायराना हमला है।केंद्रीय सुरक्षा बल देश के आंतरिक सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण दायित्व निभाते हैं। उनका इस प्रकार से राजनीतिक दुरुपयोग अत्यंत थी गंभीर चिंता का विषय है एवं ऐसी घटनाओं से ही आम जनता का विश्वास केंद्रीय एजेंसियों के प्रति कम होता जा रहा है। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के भविष्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि केंद्रीय बलों का यह पक्षपातपूर्ण व्यवहार आगामी चुनाव को भी प्रभावित कर सकता है। झामुमो मांग करती है कि सीआरपीएफ की आईजी कमांडेंट एवं उनके वरीय पदाधिकारियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई करते हुए एक उच्च स्तरीय जांच कराए। जिससे पूरे साजिश का भंडाफोड़ किया जा सके। अन्यथा झामुमो आंदोलन के लिए बाध्य होगी।

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