झारखंड प्रदेश कांग्रेस का कहीं दरक न जाए सिराजा, इधर कुंआ उधर खाई

रांचीः झारखंड प्रदेश कांग्रेस में कुछ भी ठीक ठाक नहीं चल रहा है। शीर्ष नेतृत्व के साथ प्रदेश प्रभारी के लिए भी विधायकों को एकजुट रखना बड़ी चुनौती है। तीन विधायकों ने कैश कांड में गिरफ्तार होकर रही सही कसर भी पूरी कर दी है। मंत्रियों के फेर बदल की भी चर्चा तेज हो गई है। लेकिन फेर बदल भी करने की राह भी आसान नहीं है। सत्ता के गलियारों में चर्चा यह भी है कि अगर फेर बदल हुआ तो प्रदेश कांग्रेस का सिराजा दी दरक जाएगा। मतलब साफ है इधर कुंआ उधर खाई। अगर नए चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया तो जो विधायक मंत्री नहीं बन पाएंगे, या फिर जिन्हें मंत्री पद से हटाया जाएगा. वे विरोध का झंडा बुलंद करेंगे। ऐसे में पार्टी की साख को बचाए रखना भी चुनौती होगी। राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस के दस विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। वहीं, कैश कांड में भी कई अन्य विधायकों के भी शामिल होने की पार्टी को आंतरिक सूचना मिली है। चर्चा यह भी है कि कांग्रेस के विधायक न क्रॉस वोटिंग में शामिल थे और न ही कैश कांड में संलिप्त हैं, उन्हें पार्टी के साथ खड़े रहने के लिए मंत्री पद मिल सकता है। पार्टी उन्हें शॉर्ट लिस्ट कर रही है। जो विधायक दोनों में शामिल थे, उन्हें मंत्री पद मिलने की कोई संभावना नहीं है। हालांकि ऐसे विधायक क्रॉस वोटिंग और कैश कांड में शामिल होने से इनकार भी कर रहे हैं। बहरहाल कैश कांड में जेल गए तीन विधायकों का बयान अन्य विधायकों का भविष्य तय करेगा, वहीं सरकार अगर इसमें किसी रूप में शामिल विधायकों को मंत्री बनाती है तो अन्य विधायकों में रोष पनपेगा और फूट की संभावना बढ़ेगी। ऐसे में पार्टी मंत्रिमंडल में फेरबदल की प्रक्रिया आगे भी बढ़ा सकती है।

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