खादी व ग्रामोद्योग समर कैंप में स्टार्टअप के बारे में दी गई जानकारी

पटना।बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा खादी व ग्रामोद्योग से जुड़ी उद्यमिता के संबंध में नई पीढ़ी को जानकारी देने व स्वरोजगार हेतु उन्हें प्रेरित करने के उद्देश्य से एक माह के समर कैम्प का आयोजन किया गया है। इसके पहले दिन उपस्थित लोगों को बिहार स्टार्ट-अप के बारे में जानकारी दी गई। इस आयोजन में बिहार के विभिन्न स्कूल के छात्र-छात्राओं,वयस्कों व अभिभावकों ने भाग लिया। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य लोगों को बिहार स्टार्टअप एवं ग्रामीण उद्यमिता के प्रति जागरुक करना।वहीं उन्हें उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करना व उन्हें विभिन्न कौशल सिखाना है। प्रथम दिन के कार्यक्रम के दौरान स्टार्टअप बिहार के शिवेंद्र कुमार ने उद्यमिता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि समस्या की पहचान करना ही स्टार्टअप की पहली और सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। समस्या को समाधान में बदलकर बाजार में प्रस्तुत करना,जो आपका उत्पाद बनता है, यही असली स्टार्टअप है। इसे ही सच्ची उद्यमिता कहते हैं।
समर कैम्प में बच्चों और अभिभावकों को खेल खेल में दो टीमों में विभाजित कर एक नए स्टार्टअप आइडिया और नवाचार के बारे में विचार-मंथन करने को कहा गया। सबसे बेहतरीन आइडिया की सबके बीच प्रस्तुति दी गई। इस गतिविधि का संचालन मनीष कुमार, स्टार्टअप कोऑर्डिनेटर और दीप्ति आनंद, ज़ीरोलैब्स द्वारा किया गया।
सत्र में लोगों को बताया गया कि स्टार्ट अप उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए बिहार स्टार्ट अप नीति बनायी गयी है। बिहार स्टार्ट-अप पॉलिसी 2022 के तहत 10 वर्षों के लिए 10 लाख रूपये तक की ब्याज रहित सीड फंडिंग की व्यवस्था की गई है। महिलाओं द्वारा प्रारंभ स्टार्ट-अप को 5 प्रतिशत अधिक तथा अनुसूचित जाति/जनजाति तथा दिव्यांगों के स्टार्ट-अप को 15 प्रतिशत अधिक राशि सीड फंड के रूप में देने का प्रावधान इस नीति के तहत किया गया है।
एक्सीलेरेशन प्रोग्राम में भागीदारी के लिए 3 लाख रूपये तक के अनुदान का प्रावधान स्टार्ट-अप नीति में है। एन्जेल निवेशकों से निवेश प्राप्त होने पर कुल निवेश का 2 प्रतिशत सफलता शुल्क और सेवी पंजीकृत कैटेगरी-1 तथा एन्जेल समूह से प्राप्त फंड के बराबर अधिकतम 50 लाख रूपये तक के मैचिंग लोन की व्यवस्था बिहार स्टार्ट-अप फंड से की जाती है।
स्टार्ट-अप फंडिंग के लिए लाभुकों के चयन की पारदर्शी प्रक्रिया बनायी गई है। स्टार्ट-अप पोर्टल पर आवेदन करने वाले आवेदकों के आवेदनों की पूरी जाँच के बाद वरिष्ठ अधिकारियों की टीम द्वारा उनकी पुनर्जांच की जाती है और फिर सीड फंड स्वीकृत किया जाता है। बिहार स्टार्ट-अप नीति के तहत लाभ लेने वाले स्टार्ट-अप केन्द्र सरकार की दूसरी एजेन्सियों से लाभ प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र होते हैं।
उद्योग विभाग के प्रयासों से बिहार में स्टार्ट-अप का माहौल बन चुका है। बिहार स्टार्ट-अप नीति के तहत अब तक 327 स्टार्ट-अप को प्रमाणिकृत किया गया है। 2017-22 तक 145 इकाईयों को सीड फण्ड का लाभ मिला। बिहार स्टार्ट-अप नीति के तहत स्टार्ट-अप इकाइयों को 16.30 करोड़ की सहायता राशि दी जा चुकी है।
इस आयोजन ने न केवल प्रतिभागियों को आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान किया, बल्कि उन्हें ग्रामीण उद्यमिता की दिशा में प्रेरित भी किया। बिहार राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों और साथ ही वयस्कों में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

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