मिथिलांचल में नवविवाहिताओं के आस्था का लोकपर्व ‘मधुश्रावणी’ में लोकगीतों से गुंजायमान हो रहा वातावरण !

पटना: मिथिलांचल में नवविवाहिताओं के आस्था का पवित्र पर्व मधुश्रावणी से जहां नवविवाहिताओं के घरों में भक्तिमय वातावरण बना हुआ है वही सुमधुर लोकगीतों से गांव-मुहल्ले की सड़कों से लेकर बैग-बगीचे व विभिन्न मंदिर भी गुंजायमान हो रहे हैं।
इस पवित्र पर्व को लेकर जहां नवविवाहिताओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है, वहीं इस दौरान तड़के सुबह उठ कर स्नान-ध्यान के उपरांत ससुराल से आये परिधानों के साथ सोलह श्रृंगार कर ये अपने पति की दीर्घायु के लिए लगतार 15 दिनों तक नाग-नागिन व गौरीशंकर की नियमित पूजा-अर्चना बासी फूलों से ही करती हैं। लेकिन इस बार इनका यह पूजन पुरषोत्तम मास होने के कारण लगातार डेढ़ माह तक चलेगा। 7 जुलाई से शुरू हुए इस पर्व का समापन 19 अगस्त को होगा।
इस पर्व की बहुत सारी विशेषताओं में से एक यह है कि यह पर्व महिला पुरोहित की देखरेख व मार्गदर्शन में ही किया जाता है, जिनके लिए सभी अंगवस्त्र भी नवविवाहिताओं के ससुराल से ही आता है। ससुराल से आये हुए अन्न से बना पूर्ण सात्विक भोजन ही इन्हें पूरे पन्द्रह दिनों तक ग्रहण करना होता है।
जब नवविवाहिताएं शाम के समय अपने सहेलियों के संग समूह में सोलह श्रृंगार के साथ सजधज कर बांस के चंगेरी में रंग विरंगे फूलों को सजाकर लोकगीत गाते हुए फूल लोढ़ने के लिए निकलती हैं तब यह दृश्य देखते ही बनता है।
इस पर्व के बारे में पूछने पर नवविवाहिताओं ने बताया कि मधुश्रावणी मिथिलांचल का पर्व ही नहीं बल्कि यह यहां का संस्कार है। इसमें मिथिला सहित पूरे देश की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *