22 सितम्बर रविवार का राशिफल एवम पंचांग

मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)आज आपका दिन सामान्य रहेगा । स्वास्थ्य सुधार होगा , व्यवसाय में नए अनुबंध लाभदायक रहेंगे। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा , संतान की चिंता रहेगी। नई योजना बनेगी। प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। विवाद से बचें। गुस्सा नियन्त्रित रखें व स्वयं के लिए समय निकाले।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी , वु , वे, वो)आज आपका दिन अनुकूल रहेगा। समय रहते जरूरी कार्य पूरे करें। धार्मिक यात्रा संभव है। राजकीय बाधा दूर होगी। जीवनसाथी का सहयोग प्राप्त होगा , भागदौड़ अधिक रहेगी। बचत लाभकारी रहेगी। समय सदुपयोग की महती आवश्यकता रहेगी। कुछ भी बोलने से पहले सोचें।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज आप स्वयं के लिए समय अवश्य निकाले। हर किसी पर बहूत जल्दी विश्वास न करें। अपने राज दूसरों को न बताएँ। पुराना रोग से सावधान रहें । वाणी पर नियंत्रण रखें। शारीरीक हानि आदि से बचें , जोखिम ना उठाएं।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज आपका दिन सामान्य रहेगा । लंबे समय से चली आ रही परिवार की समस्या दूर होगी। गृहस्थ सुख मिलेगा। बाहरी सहयोग से कार्यसिद्धि होगी। अज्ञात भय से चिंता रहेगी। व्यवसाय मनोनुकूल रहेगा। जीवनसाथी पर भरोसा रखिए।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज आपका दिन मिलाजुला रहेगा । मन अनुकूल काम न होने से परेशानी बढ़ सकती है। तनाव तथा चिंता वृद्धि होगी। संपत्ति के कार्य से लाभ होगा। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। यात्रा होगी। भवन बदलने के योग बन रहे हैं। स्वास्थ्य सुधार होगा।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज आपका दिन उत्तम रहेगा । जो लोग आपके कार्य में अवरोध पैदा कर रहे थे, वे अब खुद आप के कार्य की प्रशंसा करेंगे। स्वादिष्ट भोजन का आनं‍द मिलेगा। बौद्धिक कार्य सफल होंगे। निवेश व यात्रा मनोनुकूल लाभ देंगे। धार्मिक विचार बढ़ेंगे।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज आपका दिन स्वयं के अनुसार चलेगा । अपने विवेक से रुके काम पूरे करेंगे। आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। शारीरिक पीड़ा संभव है। चिंता, तनाव व भय का वातावरण बनेगा। दु:खद समाचार मिल सकता है। स्वास्थ्य लाभ होगा।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज आपका दिन बेहतरीन रहेगा। प्रतियोगी परीक्षा में प्रयास सफल होंगे। घर-बाहर पूछ-ताछ रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी, जोखिम ना लें। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आपके पास समय का अभाव रहता है इसलिए समय से अपने काम को करना सीखें। जीवनसाथी की चिंता रहेगी। शुभ समाचार मिल सकता है। धनलाभ होगा। निवेश शुभ रहेगा, जोखिम ना लें। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज आपका दिन सही रहेगा । व्यवसाय में उन्नतिप्रद अवसर आयेंगे। अचानक लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। विरोधी सक्रिय रहेंगे। चिंता रहेगी। न्यायपक्ष मजबूत होगा। स्वास्थ्य बेहतर होगा।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज आप व्यस्त रहेंगे ।न चाहते हुए भी आप को दूसरों के लिए काम करना होगा। विवाद आदि से सम्मान को ठेस पहुंच सकती है। फालतू खर्च बढ़ेंगे। तनाव व चिंता का माहौल रहेगा। जीवनसाथी सहयोग कर पाएगा। स्वास्थ्य लाभ होगा।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
अपने स्वयं के लिए समय अवश्य निकालें। आप जो सोचते हैं, वो तो करते नहीं है और दूसरे लोगों की बातों पर जल्द विश्वास करते हैं। स्वविवेक से सोचे। बकाया वसूली होगी। धार्मिक विचारधारा मजबूत होगी। किसी कार्य के लिए प्रयास अधिक करना पड़ेगा। प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।
🌞 ll~ वैदिक पंचांग ~ll 🌞
🌤️ दिनांक – 22 सितम्बर 2024
🌤️ दिन – रविवार
🌤️ विक्रम संवत – 2081
🌤️ शक संवत -1946
🌤️ अयन – दक्षिणायन
🌤️ ऋतु – शरद ॠतु
🌤️ मास – अश्विन
🌤️ पक्ष – कृष्ण
🌤️ तिथि – पंचमी शाम 03:43 तक तत्पश्चात षष्ठी
🌤️ नक्षत्र – कृत्तिका रात्रि 11:02 तक तत्पश्चात रोहिणी
🌤️ योग – हर्षण सुबह 08:18 तक तत्पश्चात वज्र
🌤️ राहुकाल – शाम 05:04 से शाम 06:35 तक
🌤️ सूर्योदय -05:38
🌤️ सूर्यास्त- 06:03
👉 दिशाशूल – पश्चिम दिशा मे
🚩 व्रत पर्व विवरण – पंचमी का श्राद्ध,कृत्तिका श्राद्ध
💥 विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

👉🏻 श्राद्ध का पूर्ण फायदा लेने के लिए इतना जरूर करे⤵️

🌷 जानिए पुराणों के अनुसार श्राद्ध का महत्व🌷
🙏 कुर्मपुराण : कुर्मपुराण में कहा गया है कि ‘जो प्राणी जिस किसी भी विधि से एकाग्रचित होकर श्राद्ध करता है, वह समस्त पापों से रहित होकर मुक्त हो जाता है और पुनः संसार चक्र में नहीं आता।’
🙏 गरुड़ पुराण : इस पुराण के अनुसार ‘पितृ पूजन (श्राद्धकर्म) से संतुष्ट होकर पितर मनुष्यों के लिए आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, वैभव, सुख, धन और धान्य देते हैं।
🙏 मार्कण्डेय पुराण : इसके अनुसार ‘श्राद्ध से तृप्त होकर पितृगण श्राद्धकर्ता को दीर्घायु, सन्तति, धन, विद्या सुख, राज्य, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करते हैं।
🙏 ब्रह्मपुराण : इसके अनुसार ‘जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति से श्राद्ध करता है, उसके कुल में कोई भी दुःखी नहीं होता।’ साथ ही ब्रह्मपुराण में वर्णन है कि ‘श्रद्धा एवं विश्वास पूर्वक किए हुए श्राद्ध में पिण्डों पर गिरी हुई पानी की नन्हीं-नन्हीं बूंदों से पशु-पक्षियों की योनि में पड़े हुए पितरों का पोषण होता है। जिस कुल में जो बाल्यावस्था में ही मर गए हों, वे सम्मार्जन के जल से तृप्त हो जाते हैं।

👉🏻 पित्रो को संतुष्ट करने के लिए इतना अवश्य करे⤵️

🌷 श्राद्ध में भोजन कराने का विधान 🌷
🙏🏻 भोजन के लिए उपस्थित अन्न अत्यंत मधुर, भोजनकर्त्ता की इच्छा के अनुसार तथा अच्छी प्रकार सिद्ध किया हुआ होना चाहिए। पात्रों में भोजन रखकर श्राद्धकर्त्ता को अत्यंत सुंदर एवं मधुरवाणी से कहना चाहिए किः ‘हे महानुभावो ! अब आप लोग अपनी इच्छा के अनुसार भोजन करें।’
🙏🏻 फिर क्रोध तथा उतावलेपन को छोड़कर उन्हें भक्ति पूर्वक भोजन परोसते रहना चाहिए।
🙏🏻 ब्राह्मणों को भी दत्तचित्त और मौन होकर प्रसन्न मुख से सुखपूर्वक भोजन कराना चाहिए।
“लहसुन, गाजर, प्याज, करम्भ (दही मिला हुआ आटा या अन्य भोज्य पदार्थ) आदि वस्तुएँ जो रस और गन्ध से युक्त हैं श्राद्धकर्म में निषिद्ध हैं।”(वायु पुराणः 78.12)
“ब्राह्मण को चाहिए कि वह भोजन के समय कदापि आँसू न गिराये, क्रोध न करे, झूठ न बोले, पैर से अन्न को न छुए और उसे परोसते हुए न हिलाये। आँसू गिराने से श्राद्धान्न भूतों को, क्रोध करने से शत्रुओं को, झूठ बोलने से कुत्तों को, पैर छुआने से राक्षसों को और उछालने से पापियों को प्राप्त होता है।”(मनुस्मृतिः 3.229.230)
“जब तक अन्न गरम रहता है और ब्राह्मण मौन होकर भोजन करते हैं, भोज्य पदार्थों के गुण नहीं बतलाते तब तक पितर भोजन करते हैं। सिर में पगड़ी बाँधकर या दक्षिण की ओर मुँह करके या खड़ाऊँ पहनकर जो भोजन किया जाता है उसे राक्षस खा जाते हैं।”(मनुस्मृतिः 3.237.238)
“भोजन करते हुए ब्राह्मणों पर चाण्डाल, सुअर, मुर्गा, कुत्ता, रजस्वला स्त्री और नपुंसक की दृष्टि नहीं पड़नी चाहिए। होम, दान, ब्राह्मण-भोजन, देवकर्म और पितृकर्म को यदि ये देख लें तो वह कर्म निष्फल हो जाता है।
सुअर के सूँघने से, मुर्गी के पंख की हवा लगने से, कुत्ते के देखने से और शूद्र के छूने से श्राद्धान्न निष्फल हो जाता है। लँगड़ा, काना, श्राद्धकर्ता का सेवक, हीनांग, अधिकांग इन सबको श्राद्ध-स्थल से हटा दें।”(मनुस्मृतिः 3.241.242)
“श्राद्ध से बची हुई भोजनादि वस्तुएँ स्त्री को तथा जो अनुचर न हों ऐसे शूद्र को नहीं देनी चाहिए। जो अज्ञानवश इन्हें दे देता है, उसका दिया हुआ श्राद्ध पितरों को नहीं प्राप्त होता। इसलिए श्राद्धकर्म में जूठे बचे हुए अन्नादि पदार्थ किसी को नहीं देना चाहिए।”(वायु पुराणः 79.83)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *