हेमन्त सरकार की 1932 वाली स्थानीय नीति महज पॉलिटिकल स्टंट: अशोक चौधरी

रांची : जदयू के झारखण्ड प्रभारी सह बिहार सरकार के मंत्री डॉ अशोक चौधरी ने प्रेस को सम्बोधित करते हुए कहा कि हेमन्त सरकार की 1932 वाली स्थानीय नीति महज पॉलिटिकल स्टंट है। 1932 के खतियान पर सरकार जो कुछ कर रही है, वह सतही है। हर दल अपने मतदाता के अनुकूल योजनाएं बनाता है। 1932 खतियान को विधानसभा में लाकर फिर इसे केंद्र के पास भेजा है। केंद्र और राज्य के जगजाहिर संबंधों को देखते हुए इसे कानून का रूप नहीं मिल सकेगा। यह लम्बित ही रहेगा। ऐसे में खतियान यात्रा का कोई तुक नहीं है।
श्री चौधरी ने कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव में 45 से अधिक सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ी पर जनता से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल सका। पार्टी का स्वरूप संतोषजनक नहीं रहने के कारण ऐसा हुआ। अब पार्टी संगठन को दुरुस्त किया जा रहा है। खीरू महतो के नेतृत्व में पार्टी अगले 6 माह में नये स्वरूप और कलेवर में दिखेगी। पुराने नेताओं से संपर्क साधा जा रहा है, आनेवाले दिनों में कई बड़े नेता पार्टी में दिखेंगे। मंगलवार को पार्टी पदाधिकारियों, जिला अध्यक्षों के साथ हुई बैठक में इस पर गंभीर चर्चा हुई है कि कैसे पार्टी को आनेवाले समय में और मजबूत किया जाये। इसके लिए रथ भी निकाला जाएगा और अन्य कार्यक्रम भी होंगे। झारखंड में 2024 के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में अकेले या गठबंधन के साथ भागीदारी के संबंध में पार्टी अध्यक्ष और शीर्ष नेता फैसला लेंगे।
उन्होंने बिहार की तरह झारखंड में भी शराबबंदी की बात कही, कहा कि यह एक बड़ी सामाजिक बुराई है। विधवा विवाह, सती प्रथा जैसे बुराईयों के खिलाफ जिस तरह से महापुरुषों ने लड़ाईयां लड़ीं, शराबबंदी को लेकर भी ऐसा प्रयास जारी है। झारखंड में भी जातीय गणना (Cast Survey) कराये जाने की मांग अशोक चौधरी ने रखी। उन्होंने कहा कि एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने पीएम से मुलाकात कर जातीय गणना कराए जाने की मांग रखी थी। अंततः बिहार सरकार ने अपने स्तर से इसे शुरू किया है। सभी राज्यों को यह करना चाहिए। इससे सामाजिक, आर्थिक और अन्य स्तरों पर योजना तैयार करने में मदद मिलेगी।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा की नीतीश कुमार जी ने कभी भी यह नहीं कहा कि वे पीएम बनना चाहते हैं। उन्होंने एक बड़े महागठबंधन तैयार करने की बात की थी। कोई भी गठबंधन हो, उसमें कांग्रेस का होना आवश्यक है। इसके लिए राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद उनसे औऱ कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी नीतीश मिलेंगे।

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