कभी लोगों की प्यास बुझाने वाला हरमू नदी आज अंतिम सांसे गिन रही है…

अबतक इसके सुंदरीकरण के नाम पर 85.43 करोड़ रुपए खर्च हो चुके

रांची: राजधानी रांची में स्थित अति प्राचीन हरमू नदी सरकार की उदासीनता से अंतिम सांसे गिन रही है। नदी नाले में तब्दील हो गई है। नदी के आसपास रहने वाले लोग सुबह शौचालय करते हैं। हरमू,किशोरगंज, कडरू और मेन रोड से निकलने वाले नाले का गंदा पानी हरमू नदी में प्रभावित हो रहा है। नतीजा,हरमू नदी का पानी काला हो गया और काफी बदबू भी कर रहा है। आसपास के लोगों को बीमारी होने का खतरा बना रहता है। हरमू नदी का सुंदरीकरण करने के लिए पूर्व की रघुवर सरकार में नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने भी पहल की थी।
ईगल इंफ्रा नाम की एजेंसी को हरमू नदी का सुंदरीकरण की जिम्मेवारी दी गई थी। अबतक इसके सुंदरीकरण के लिए 85.43 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। जुडकों ने इसके लिए डीपीआर तैयार किया था। सुंदरीकरण की देखरेख के लिए नगर विकास विभाग की ओर से कमेटी गठित की गई थी। उस कमेटी ने डीपीआर में त्रुटि करारा दिया था। इसके बाद भी निर्माण कार्य हुआ। इतनी बड़ी राशि का कोई फलाफल नहीं निकला।
विद्यानगर से कडरू तक कंपनी के द्वारा 27ड्रेनेज पिट बनाए गए थे। इस ड्रेनेज पिट के माध्यम से मुहल्ले से निकलने वाले नाले का पानी को ट्रेटमेंट कर उसे हरमू नदी में गिराना था। ये सभी फेल हो गए। नदी का प्राकृतिक आकार समाप्त कर दिया गया। दोनों किनारे पर पत्थर बिछाकर लोहे की जालियों से नदी को बांध दिया गया था। इससे नदी का आकार नाले के जैसा हो गया।


रांची नगर निगम में पूर्व वार्ड सदस्य अरुण कुमार झा ने इस संबंध में कहा कि हेमंत सोरेन सरकार की अकर्मण्यता के कारण हरमू नदी सुंदरीकरण का कार्य बंद है। पूर्व में रघुवर सरकार ने इसका सुंदरीकरण के लिए पहल किया था।लेकिन सत्ता बदलते ही इसका काम रुक गया है। पिछले तीन सालों से कार्य बंद है। उन्होंने कहा कि यह कार्य जुडको कर रहा है। सभी एसपीटी प्लांट का चालू करना था। जो काम अधूरा पड़ा है,उसे पूरा करने की जरूरत है। सीएम हेमंत सोरेन के पास नगर विकास विभाग है। हरमू नदी अपने पुराने स्वरूप में लौटे यह स्थानीय लोग भी चाहते हैं।


वहीं जदयू प्रदेश महासचिव श्रवण कुमार ने कहा कि हरमू नहीं के वास्तविक स्वरूप को लाने के लिए राज्य सरकार पहल करने की जरूरत है। पूर्व की सरकार में नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने भी इसके सुंदरीकरण के लिए करोड़ों रुपए की योजना तैयार किया था। इसमें काम भी थोड़ा बहुत हुआ और राशि की बंदरबांट हो गई। इसकी जांच होना चाहिए। नदी में पूरा कचरा भरा हुआ है,साथ ही जमीन का अतिक्रमण भी हुआ है। उन्होंने कहा कि नदी की साफ सफाई पर राज्य सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। नदी में पानी नहीं रहने से इस क्षेत्र के मुहल्ले में बोरिंग का पानी सूख गया है। हरमू,विद्यानगर,किशोरगंज में पानी के लिए मारामारी हो रही है।

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