खतियान आधारित स्थानीय नीति एवम् नियोजन नीति की घोषणा कर झारखंड सरकार : विजय शंकर नायक
रांची : झारखंड सूचना अधिकार मंच के केंद्रीय अध्यक्ष सह हटिया विधानसभा चुनाव क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंडी समाज की जन भावनाओं को देखते हुए विधानसभा सत्र के समाप्ति के अंतिम दिन 25 मार्च को खतियान आधारित स्थानीय नीति एवम् नियोजन नीति की घोषणा कर झारखंडी समाज के भावनाओ को सम्मान कर उन्हे तोहफा देने का कार्य कर ।
उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार जल जंगल,जमीन, माय, माटी की बात करती है. झामुमो ने विधानसभा चुनाव घोषणा पत्र में झामुमो की सरकार बनने पर खतियान आधारित स्थानीय नीति एवम् नियोजन नीति लागू करने की घोषणा किया था. सरकार के तीसरे वर्ष में प्रवेश होने के बाद भी हेमंत सोरेन सरकार ने इस दिशा में कोई सकारात्मक ठोस पहल नही किया जाना झारखंडी समाज के साथ धोखा है ।
श्री नायक ने यह भी कहा की यह झारखंड के एवम् झारखंडी समाज के लिए सोचनीय प्रश्न है, आखिर माय माटी की सरकार स्थानीय एवम् नियोजन नीति खतियान आधारित करने में विलंब क्यों कर रही है जो समझ से परे है. उन्होंने यह भी कहा 24 जुलाई 2002 से खतियान आधारित स्थानीय एवम् नियोजन नीति की मांग को लेकर झारखंडी समाज आंदोलित है ।इस आंदोलन में कितने लोग शहीद भी हुए 13 मुख्यमंत्री आए गए किसी भी मुख्यमंत्री ने झारखंडी समाज के भावना को समझा नही और न ही उनके भावना को सम्मान ही दिया गया हेमंत सोरेन लगातार दो बार सीएम बने इसी स्थानीय नीति के नाम पर एक बार इस्तीफा भी डेढ़ वर्ष सरकार में रहने के बाद इसी विषय को आगे रख कर भाजपा सरकार से अलग हुई थी आज पुनः हेमंत सोरेन खुद पुनः सीएम है मगर इस दिशा में कोई पहल नही करना झारखंडी समाज के साथ उनके विश्वासघात है जो अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ।
श्री नायक ने आगे कहा की हमलोगों ने इस आंदोलन को 2002 में जनता का आंदोलन बनाया था उसी आंदोलन के कोख से एक नेता विधायक भी बना कितने लोग शहीद भी हुए पूरा झारखंड जल उठा था. वह आग कभी बुझी नहीं, हां आंदोलन करने वाले लगातार आंदोलन करते करते थक जरूर गए थे. मगर आंदोलन रूपी मशाल को जलाए रखा गया .अब उसी आंदोलन को अब युवा शक्ति ने पकड़ लिया है और अपने हक और अधिकार के लिए पूरा राज्य में संघर्ष कर रहे है।भाजपा ने इस आंदोलन को कभी तरजीह नही दी और 1985 को स्थानीय बनाने का कार्य कर झारखंडी भावना को कुचलने का कार्य किया गया. परिणाम स्वरूप बीजेपी को झारखंड की जनता ने सत्ता से बेदखल किया. इसलिए राज्य के सीएम हेमंत सोरेन को भी इस भावना को सम्मान करना होगा. अन्यथा जेएमएम के लिए यह अंतिम सरकार होगी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के अंतिम सीएम हेमंत सोरेन हो जायेंगे. झारखंड में जेएमएम की सरकार जीवन में कभी नही बन पाएगी. अगर झारखंडी समाज के भावना को सम्मान देते हुए खतियान आधारित स्थानीय एवम् नियोजन नीति हेमंत सोरेन सरकार बनाती है तो हेमंत की सरकार झारखंड में परमानेंट राज्य सत्ता में बनी रहेगी दुनिया की कोई ताकत उन्हें सत्ता से बेदखल नही कर पायेगा ।