गणादेश पहली बार बता रहा पलामू डीसी की सास को मिले लीज का पूरा सच…
अरूण कुमार सिंह
पलामू: डीसी शशिरंजन द्वारा अपनी सास अंजना चौरसिया को पत्थर माईंस आबंटित करने का मामला सुर्खियों में है । पलामू के एक ठेकेदार रणधीर पाठक को सामने कर उपायुक्त शशिरंजन ने अपनी सास अंजना चौरसिया के नाम पत्थर खदान का जो पट्टा हासिल किया है, यह मौजा शाहपुर, थाना नौडीहा बाजार के थाना संख्या 380, खाता संख्या 72, प्लाट संख्या 295, 297, 299, 300, 302, 304 व 306 में रकबा 4.17 एकड़ पत्थर खनन की लीज चार वर्ष 11 माह के लिए दी गई है । इनमें अधिकतर जमीन स्थानीय आदिवासी परिवारों से लीज पर ली गयी है ।
लीज आबंटित करने में गजब की दरियादिली दिखाई गई !
पलामू डीसी की सास और उनके बिजनेस पार्टनर को यह लीज मात्र नौ महीने में आबंटित की गयी । अमूमन ऐसा होता नहीं है । लीज वाली फाइलें कई कई महीनों तक दफ्तरों का चक्कर काटते रहती हैं । चर्चा है कि इस लीज को आबंटित करने और संबद्ध भूमि पर खनन कार्य जल्दी से जल्दी शुरू करने की ऐसी हड़बड़ी थी कि वन विभाग के एक अधिकारी ने तो मौखिक आदेश तक दे दिया था ! जमीन हासिल करने के लिए सरईडीह के एक नेतानुमा व्यक्ति का सहारा लिया गया । वर्तमान छतरपुर सीओ मोदस्सर नजर मंसूरी ने स्थल की बावत रिपोर्ट किया । उस वक्त वे नौडीहा प्रखंड के सीओ भी थे ।
इस लीज को ग्रांड करने के लिए कई जमीनी तथ्यों की अनदेखी की गयी । मसलन लीज स्थल के पास ही सदियों पुरानी चिलबिलिया नदी है । लीज से सटी हुई खेती की जमीन है । लीज स्थल से शाहपुर टोला सतबहिनी गांव सटा हुआ है और वहां कुछ पीएम आवास भी बने हुए हैं । जिन्हें किराये पर लेकर उनका उपयोग माईंस वाले अपनी ऑफिस के रूप में कर रहे हैं । यहीं पर पत्थर खनन करने वाली कुछ मशीनें खड़ी मिलीं ।
कुछ स्थानीय लोगों का कहना था कि रैयती जमीन में लीज हुआ है लेकिन पत्थर खनन गैरमजरूआ जमीन में हो रहा था । स्थानीय लोगों का यह भी कहना था कि लीज स्वीकृत कराने के लिए खतियान में जमीन का किस्म बदला गया है । हांलाकि ‘गणादेश’ ग्रामीणों की इन बातों की पुष्टि नहीं करता । इस मामले में संपूर्ण और उच्चस्तरीय जांच के बाद ही उपरोक्त तथ्यों पर मुहर लगायी जा सकती है ।
इस बावत जब सीओ मोदस्सर नजर मंसूरी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत कुछ याद तो नहीं है लेकिन उन्होंने निश्चित रूप से स्थल को देखकर ही रिपोर्ट किया होगा और स्थल पर जो जो चीजें मौजूद होंगी, अपने रिपोर्ट में उसका भी जिक्र किया होगा।
मिट्टी भरकर नदी की हत्या की कोशिश !
लीज स्थल तक जाने के लिए और खनन कार्य में लगे भारी वाहनों की आवाजाही और पत्थरों के परिवहन के लिए सदियों पुरानी चिलबिलिया नदी के गर्भ में मिट्टी भरकर नदी के बीचों-बीच रास्ता बना दिया गया है। नदी में मिट्टी भरना अथवा नदी की धारा रोकना अथवा नदी के बीच से रास्ता निकालना पर्यावरण की शर्तों का खुलेआम उल्लंघन है। इससे नदी बेमौत मर रही है और उसकी धारा प्रभावित हो रही है । जेठ के महीने में पलामू में बहुत कम नदियों में पानी रहता है । लेकिन इस चिलबिलिया नदी में कहीं कहीं अब भी पानी है । यह नदी अब इंसाफ मांग रही है ।
तो क्या जांच के डर से धीमा हुआ उत्खनन कार्य ?
21 फरवरी 2022 को झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा खनन का एनओसी मिलने के बाद युद्धस्तर पर पत्थरों का खनन चल रहा था । बीजेपी अध्यक्ष दीपक प्रकाश के प्रेस कांफ्रेंस के बाद जब यह मामला गरमाया तो पत्थर खनन का कार्य बिल्कुल धीमा हो गया । दिन की बजाय रात में काम होने लगा । खनन कार्य में लगी मशीनें, पीएम आवासों वाले माईंस के ऑफिस के बाहर खड़ी दिखीं । यह भी अपने आप में जांच का विषय है कि माईंस का ऑफिस पीएम आवास में कैसे खोला गया ?
डीसी के सरहज के नाम एक और लीज आबंटित करने की प्रक्रिया पर ब्रेक !
बताया जा रहा है कि डीसी की सास और रणधीर पाठक के नाम उक्त लीज होने और फिर उसके विवादास्पद हो जाने के बाद उस लीज प्रक्रिया पर ब्रेक लग गया है, जो रणधीर पाठक के पिता वैद्यनाथ पाठक ने डीसी की सरहज स्नेहा के साथ साझेदारी में मेसर्स प्राइम स्टोन की तरफ से आवेदन दिया था।
नौडीहा और समीप के छतरपुर इलाके में आबंटित अधिकतर पत्थर माईंस अवैध !
नौडीहा प्रखंड क्षेत्र और छतरपुर के इलाके में स्वीकृत अधिकतर पत्थर खदानों का आबंटन बिल्कुल अवैध तरीके से हुआ है । संबद्ध अधिकारियों ने लीज मालिकों से सांठगांठ कर झूठी और गलत रिपोर्ट प्रस्तुत करके लीज ग्रांड करवा लिया है । लीज स्वीकृत करने में खतियान तक में फेरबदल किया गया । लीज स्थल के बगल में अवस्थित विद्यालय, गांव, नदियों, श्मशान, स्टेट हाइवे, वन भूमि आदि की झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी । छतरपुर अनुमंडल क्षेत्र में अवस्थित करीब साढ़े चार दर्जन पत्थर माईंस की अगर समग्र जांच हो तो दस फीसदी पत्थर माईंस का वैध और नियमानुकूल पाया जाना मुश्किल होगा ।