चार मासूम बेटियों को घर से निकाला, बेटे को रखा
रंजीत विद्यार्थी
मुंगेर: कहते हैं किस्मत की फटी चादर का कोई रफूगर नहीं होता। मुंगेर जिले की चार मासूम बच्चियों के सर से पिता का साया क्या उठा ,महज कुछ ही महीने बाद मां दूसरे के संग शादी रचा ली और पंजाब चली गई। दूसरे पति ने बेटियों को कुछ दिन तो अपने साथ रखा। फिर बेटे को अपने पास रख कर चारों बेटियों को पंजाब से 400 रुपए देकर ट्रेन पर बिठा दिया। मां ने कहा, तुम्हारे नए पिता ने मेरे भरण पोषण करने की जिम्मेवारी ली है ,तुम्हें कैसे पालेगा। इसलिए तुम लोग यहां से चली जाओ। मैं आऊंगी तो कुछ करूंगी। अब इन चार मासूमों की देखभाल कौन करेगा!यह कोई नहीं जानता। चारों बेटी में बड़ी बेटी अपनी बहनों को लेकर जीवन जीने के लिए जद्दोजहद कर रही है । इधर उधर भटक रही है, शायद उसे कोई अपना मिल जाए।
देर रात भटक कर आ गई मुंगेर के नयागांव..
चार बेटियों में बड़ी बेटी 13 वर्षीय संजू कुमारी ने बताया कि मेरे पिता राजेश बिंद एक साल पूर्व बीमारी से गुजर गए । वे मजदूरी का काम करते थे ।घर की हालत बहुत खराब थी। किसी तरह गुजारा हो रहा था । पिताजी के चले जाने के बाद घर में खाने के भी लाले पड़ गए। पिताजी के मृत्यु के बाद कुछ महीने बाद ही मां ने किसी और से रिश्ता बना लिया और उसके साथ पंजाब चली गई। मैं चार बहन, बड़ी मैं 13 वर्षीय संजू कुमारी, मेरे से छोटी 10 वर्ष की काजल, उससे छोटी नेहा 5 वर्ष की नेहा , 1 वर्ष की ब्यूटी कुमारी है और एक 7 वर्ष का भाई विवेक है। मां ने भाई को अपने पास रख लिया। हम लोग कुछ दिन नए पिताजी के साथ पंजाब में रहे। लेकिन नए पिताजी ने मां से कहा हमने तुम्हारी जिम्मेदारी ली थी, तुम्हारी बेटियों की नहीं ।एक बेटा है उसको मैं रख लेता हूं। चारों बेटी को नहीं रख सकूंगा।इसे यहां से भगा दो ।उसने कहा कि मुझे 400 रूप्येबदेकर मेरे नए पिताजी ने पंजाब से क्यूल आने वाली ट्रेन पर बिठा दिया । फिर मुझे रास्ता याद था, मैं मुंगेर आ गई। जहां मां किराए के मकान में रहती थी। वहां पहुंचकर मकान मालिक ने भी कहा कि जब तुम्हारा यहां कोई नहीं है तो तुम्हें कैसे रखूं ।उसने भी मुझे भगा दिया। लावारिस हालत में मिली बच्चियों ने कहा कि पिछले एक माह से हम चारों बहन सोझी घाट में ही एक मंदिर में गुजारा करते थे।गांव वाले कुछ खाना पीना दे दिया करते थे, उसी से जिंदगी कट रही थी। लेकिन अब उन लोगों ने भी मुंह फेर लिया।
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मां के रिश्तेदार को खोजते हुए पहुंची नयागांव
चारों बेटियों में बड़ी बेटी संजू कुमारी ने कहा कि मुझे कुछ याद था कि मेरी मां की भाभी वासदेवपुर ओपी क्षेत्र अंतर्गत नयागांव इलाके में रहती है। इसीलिए घूमते घूमते यहां चली आई । लेकिन यहां स्थानीय एक मीडियाकर्मी ने मुझे रोक लिया और पुलिस को बुला दिया।अब मुझे याद भी नहीं है कि मेरी मां की भाभी कहां रहती है और कहते कहते सभी बहनें एक दूसरे को पकड़ कर रोने लगी।
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स्थानीय लोगों ने की पहल,पुलिस को सौंपा चारों बच्चियों को
भटकी हुई चारों बच्चियों को नयागांव के लोगों ने नया गांव बजरंगबली चौक पर रात 9 बजे देखा । पूछने पर चारों बहनों ने अपनी आप बीती बताई।स्थानीय लोगों ने बच्चियों को खाना-पीना दिया और स्थानीय बासुदेवपुर पुलिस को सूचना दी । इस संबंध में बासुदेवपुर ओपी अध्यक्ष एलबी सिंह ने बताया कि 4 बच्चियों के भटककर आने की सूचना मिली है। पूछताछ की जा रही है। लावारिस होने पर इन्हें चाइल्ड होम को सौंपा जाएगा।