राजनीतिक फायदे के लिए हेमंत सरकार ने भाषा के आधार पर लोगों के बांटने का काम किया हैः बाबूलाल
धनबाद: पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि बिहार से अलग होने के तुरंत बाद झारखंड में भाजपा की सरकार बनी थी। सरकार बनते ही उन्होंने स्थानीयता मुद्दे को हल करने के लिए सर्वदलीय सम्मेलन बुलाई, जिसमें बिहार के 1982 के स्थानीय एवं नियोजन नीति के आधार पर झारखंड में भी नियोजन की बात सभी ने सर्वसम्मति से तय की थी, लेकिन उनकी सरकार के जाते ही मामला ठंडे बस्ते में चला गया। फिर रघुवर दास की सरकार ने भी इसी को आधार बना कर स्थानीय एवं नियोजन नीति लाई, जिसे राजनीतिक फायदे के लिए हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार ने खारिज करते हुए भाषा के आधार पर लोगों के बांटने का काम किया है। इसी से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए वह 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति के विवाद को हवा दे रहे हैं। बाबूलाल शनिवार को धनबाद परिसदन में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब अर्जुन मुंडा राज्य के मुख्यमंत्री थे, तब डिप्टी सीएम हेमंत सोरेन थे, लेकिन तब उन्होंने कुछ नहीं किया। सोरेन का स्टैंड इस मामले में लगातार बदलता रहा है। इस कारण आज तक स्थानीय एवं नियोजन नीति नहीं बन पाई।राज्य में कानून व्यवस्था अभी तक से सबसे खराब दौर से गुजर रही है। अपराधियों को राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त है।