कुपोषण के शिकार बिहार में दर्जनों पुलो ने आत्महत्या की
पलो में गिरते पुल,पलो में गिरते पुल
ये नाकामी नहीं तो क्या ?
इसे पुल न कहे
भ्रष्टाचार की निशानी हैं क्या ?
जब बुनियादी आवश्यकता
इतनी खोखली हो
बुनियाद मजबूत होगी क्या ?
विकास विनाश की ओर
ये भ्रष्टाचार का ज़ोर हैं क्या ?
दाल में नमक हैं
या पूरी दाल नमक की हैं क्या ?
जनता सब जानती हैं
फिर क्यों हैं शांत
तूफ़ान से पहले की शांति हैं क्या?
इधर उधर पलटने की फ़ितरत
इसका भी असर है क्या ?
सबके ज्ञान में हैं बाते
संज्ञान में लेंगे क्या ?
या इसी तरह ढहते पुलो को
मूक दर्शक बने देखते रहेंगे क्या?

