श्रीमद् भागवत कथा से भक्तों को मिली आध्यात्मिक ऊर्जा*
रांची। टाटीसिलवे में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का भव्य समापन शनिवार को हुआ। श्रद्धालुओं से खचाखच भरे पंडाल में कथा के अंतिम दिन पूज्य इंद्रेश जी उपाध्याय ने कथा के दौरान मधुमंगल के हास्य प्रसंग, केशी वध, कंस उद्धार, सुदामा की मित्रता, रुक्मिणी विवाह और 16108 विवाह जैसे महत्वपूर्ण प्रसंगों का वर्णन किया। मधुमंगल और श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं में भक्तों ने हास्य रस का आनंद लिया, जब मधुमंगल ने श्रीकृष्ण से उनके मुकुट और पीतांबर मांगे ताकि गोपियां उनसे प्रेम करें। वहीं, केशी राक्षस के वध की कथा ने भगवान की शक्ति का परिचय कराया, जब श्रीकृष्ण ने अपने हाथों से राक्षस का संहार किया। कंस वध के प्रसंग में भगवान के बाल्यकाल की अद्भुत लीलाओं और अत्याचारी कंस के अंत की कथा सुनाई गई। इसके बाद सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता ने भक्ति और प्रेम का भाव उत्पन्न किया, जब गरीब ब्राह्मण मित्र को श्रीकृष्ण ने अपार वैभव प्रदान किया। इंद्रेश जी महाराज ने रुक्मिणी विवाह और 16108 विवाह प्रसंग में बताया गया कि भगवान ने रुक्मिणी को हरण कर विवाह किया और बाद में नरकासुर से मुक्त कराई गई 16108 कन्याओं से विवाह कर उन्हें सम्मान दिया। भक्तों ने इस कथा को सुनकर जयकारे लगाए और भक्ति भाव में डूब गए।
फूलों की होली से भक्तों ने लिया वृंदावन का आनंद
कथा के उपरांत इंद्रेश जी महाराज ने भक्तों के बीच जाकर 45 मिनट तक होली खेली। इस दौरान पूरे पंडाल में फूलों की बौछार होती रही। महाराज जी स्वयं पुष्प टोकरी से फूल उठाकर भक्तों पर बरसाते रहें, जिससे माहौल पूरी तरह वृंदावन की होली जैसा हो गया। उन्होंने वृंदावन की होली का जिक्र करते हुए कहा, भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में प्रेम, आनंद और उत्सव का संदेश दिया। वृंदावन की होली प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, जहां राधा-कृष्ण संग गोपियां भी आनंदित होती थीं।
10 हजार भक्तों की मौजूदगी ने बनाया ऐतिहासिक पल
इस भव्य समापन समारोह में सुबह 7 बजे से ही भक्तों की भारी भीड़ जुटने लगी थी। जैसे-जैसे समय बढ़ता गया 9 बजे तक पूरा पंडाल 10 हजार से अधिक भक्तों से भर गया। श्रद्धालुओं ने कथा, भजनों और होली के उत्सव में पूरी श्रद्धा और आनंद के साथ भाग लिया।
रक्तदान शिविर में 162 यूनिट ब्लड संग्रह
श्रीमद् भागवत कथा के दौरान समिति द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था, जिसमें कुल 162 यूनिट रक्त संग्रह किया गया। कथा के चौथे दिन पूज्य इंद्रेश जी महाराज ने भी स्वयं रक्तदान कर लोगों से इस नेक कार्य में भाग लेने की अपील की थी। यह रक्तदान शिविर रिम्स ब्लड बैंक और हेल्थ पॉइंट ब्लड बैंक के सहयोग से लगाया गया था। महाराज जी ने व्यास पीठ से कहा था- रक्तदान सबसे बड़ा दान है। इससे हम न जाने कितनी जिंदगियों को बचा सकते हैं। यह भी एक सच्ची भक्ति है।
श्रीमद् भागवत कथा से भक्तों को मिली आध्यात्मिक ऊर्जा
श्रीमद् भागवत कथा आयोजन समिति टाटीसिलवे के अध्यक्ष रासेश्वर नाथ मिश्रा ने कहा कि इस आठ दिवसीय कथा महोत्सव में भक्तों ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का रसपान किया और उनके जीवन से जुड़े गूढ़ रहस्यों को समझा।श्रीमद् भागवत केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है। इसमें समस्त मानव जाति के कल्याण का मार्ग है। टाटीसिलवे में हुए इस पावन आयोजन ने श्रद्धालुओं के हृदय में भक्ति, प्रेम और सेवा का संदेश दिया, जो लंबे समय तक उनकी स्मृतियों में अंकित रहेगा।

