वक्फ कानून में संशोधन के खिलाफ राजभवन के समक्ष मुस्लिम संगठनों का प्रदर्शन

रांची : वक्फ कानून में हालिया संशोधन को लेकर मुस्लिम संगठनों का विरोध लगातार तेज़ होता जा रहा है। रविवार को ऑल मुस्लिम यूथ एसोसिएशन के आह्वान पर राजधानी रांची में विभिन्न मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने राजभवन के सामने शांतिपूर्ण धरना दिया और केंद्र सरकार से संशोधित वक्फ एक्ट को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वक्फ कानून में किया गया संशोधन भारतीय मुसलमानों की धार्मिक पहचान, स्वायत्तता और संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों पर सीधा आघात है। वक्ताओं ने कहा कि वक्फ संपत्तियों पर बनीं मस्जिदें, मदरसे, ईदगाह, कब्रिस्तान, मजारें, खानकाह, मकबरे, मुसाफ़िरख़ाने, दुकानें और शिक्षण संस्थान मुस्लिम समुदाय के पूर्वजों की निजी ज़मीनों से बनी हैं, जिन्हें उन्होंने धार्मिक और सामुदायिक सेवा के उद्देश्य से वक्फ किया था।

राज्यभर में हो रहे विरोध प्रदर्शन

वक्ताओं ने बताया कि वक्फ संशोधन के खिलाफ यह आंदोलन एक राज्यव्यापी अभियान का हिस्सा है। पहले जामताड़ा में विरोध हुआ, रविवार को रांची में धरना हुआ और सोमवार को हजारीबाग में इसी मुद्दे पर प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद राज्य के अन्य ज़िलों में भी इसी तरह के विरोध-प्रदर्शन की योजना है।

सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

धरने में शामिल मौलाना मोहम्मद असगर मिस्बाही ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार न सिर्फ मुस्लिम विरोधी रवैया अपना रही है, बल्कि देश के संविधान की मूल भावना के भी खिलाफ काम कर रही है। उन्होंने कहा, “पहले तीन तलाक़ पर एकतरफा क़ानून बनाया गया और अब वक्फ कानून में संशोधन कर हमारे धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप किया जा रहा है।” प्रदर्शनकारियों के हाथों में तिरंगा झंडा और “वक्फ कानून वापस लो” की तख्तियां थीं। उन्होंने कहा कि यह संशोधन न केवल धार्मिक अधिकारों को सीमित करता है, बल्कि वक्फ संपत्तियों में सरकारी दखल को भी बढ़ावा देता है, जो समुदाय की स्वतंत्रता के लिए ख़तरा है।

बहुमत के बल पर संविधान के खिलाफ कदम

ऑल मुस्लिम यूथ एसोसिएशन के नेता एस. अली ने आरोप लगाया कि यह संशोधन बहुमत के बल पर थोपा गया है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ वक्फ की नहीं बल्कि संविधान की आत्मा को बचाने की भी है, और यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक यह संशोधन वापस नहीं लिया जाता।

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