कोल कंपनियां रैयतों से कोल बेरिंग एक्ट के तहत जमीन लेती है. यह भारत सरकार का कानून है, राज्य सरकार का नहींः हेमंत

रांचीः बीजेपी विधायक ढुल्लू महतो के सवाल पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कोल कंपनियां रैयतों से कोल बेरिंग एक्ट के तहत जमीन लेती है. यह भारत सरकार का कानून है, राज्य सरकार का नहीं. केंद्र सरकार का बस चले तो झारखंड के लोगों को दूसरे राज्य में शिफ्ट करा कर यहां सिर्फ खनन का काम करवायें. पूर्व की सरकार ने रैयतों की जमीन वापसी का कानून नहीं बनाया था बल्कि लैंड बैंक में खाली पड़ी जमीन को रखने का निर्णय लिया था. रैयतों की जमीन वापसी के मामले पर कोल बेरिंग एक्ट एवं भूमि अधिग्रहण कानून का विस्तृत अध्ययन कर वैधानिक राय लेने के बाद सरकार निर्णय लेगी.बीजेपी विधायक ढुल्लू महतो ने पूछा था कि बीसीसीएल, ईसीएल l सहित अन्य कोल् कंपनियों द्वारा रैयतों से जमीन तो ली जाती है लेकिन उन्हें मुआवजा और नौकरी नहीं दी जाती है. साथ ही जिस जमीन का उपयोग नहीं होता वह रैयतों को वापस भी नहीं की जाती है. इतना ही नहीं खनन के बाद बिना भराये जमीन को छोड़ दिया जाता है जिस वजह से आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है.

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