सीएम हेमंत सोरेन ने ईडी को पूछताछ के लिए 31 जनवरी को दोपहर एक बजे आने के लिए कहा है

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समझ गए हैं कि अब वो ईडी से भाग नहीं सकते। न न करते उन्होंने पूछताछ के लिए ईडी को समय दे दिया है. हेमंत सोरेन ने ईडी को 31 जनवरी को दोपहर एक बजे आने के लिए कहा है।
ईडी को राजधानी रांची में जमीन की खरीद-बिक्री में हुई अनियमितता के मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष सह झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से पूछताछ करनी है। 20 दिसंबर को एक बार हेमंत सोरेन से पूछताछ हो चुकी है। उस दिन की पूछताछ से ईडी की टीम पूरी तरह संतुष्ट नहीं थी. इसलिए उसने एक बार फिर सीएम को समन भेजा।
हेमंत सोरेन को भेजे गए 10वें समन में कहा गया कि वे 29 से 31 जनवरी के बीच किस दिन पूछताछ के लिए उपलब्ध रहेंगे, 28 जनवरी तक इसकी जानकारी दें। इसमें कहा गया था कि अगर आप नहीं आए, तो पूछताछ करने के लिए हम आएंगे।
इसके जवाब में मुख्यमंत्री कार्यालय से ईडी कार्यालय को एक चिट्ठी भेजी गई। इसमें कहा गया कि अभी वह व्यस्त हैं,बाद में समय बताएंगे। 27 जनवरी को ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली रवाना हो गए। इसके बाद 29 जनवरी को सुबह-सुबह ईडी की टीम हेमंत सोरेन के दिल्ली स्थित आवास पहुंची। उस वक्त हेमंत सोरेन अपने आवास पर नहीं थे।ईडी की टीम झारखंड भवन भी पहुंची, लेकिन वहां भी उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री से नहीं हो पाई।
बता दें कि रांची के बड़गाईं में जमीन की खरीद-बिक्री में बड़ी गड़बड़ी का पता चला था. इसकी जांच में रांची के पूर्व उपायुक्त छविरंजन को जेल हो चुकी है. अंचल कार्यालय के कई कर्मचारी को भी जेल हुई है. कई बड़े व्यापारी भी इस मामले में फंसे हैं. ईडी का कहना है कि इस मामले की जांच में घोटाले के तार झारखंड के मुख्यमंत्री से भी जुड़े हैं. इसलिए उनसे पूछताछ जरूरी है. अगस्त 2023 से हेमंत सोरेन को समन भेजा जा रहा है. आखिरकार 20 जनवरी को ईडी की टीम को सीएम आवास बुलाया गया. यहां 7 लोगों की टीम ने मुख्यमंत्री से बंद कमरे में पूछताछ की.
हेमंत सोरेन से जब मुख्यमंत्री आवास में पूछताछ हो रही थी, उसके पहले भारी संख्या में झारखंड के अलग-अलग जिलों से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकर्ता सीएम के समर्थन में रांची पहुंचे थे। सीएम आवास के बाहर झामुमो कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की थी।शाम में कई गाड़ियों में भरकर केंद्रीय बलों की टीम पहुंची थी।इसको लेकर भी काफी विवाद हुआ। सीआरपीएफ के आईजी समेत 500 लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई थी।डीजीपी से इस मामले में रिपोर्ट मांगी गई थी।रिपोर्ट में डीजीपी ने कहा कि सीआरपीएफ ने नियमों का पालन नहीं किया था। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने सीआरपीएफ पर एफआईआर दर्ज करने को गलत बताया था।

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