भिक्षावृत्ति आधुनिक समाज के लिए कलंक: डीएम

पटना। भिक्षावृत्ति आधुनिक समाज के लिए कलंक है। इसके निवारण के लिए सभी धारकों (स्टेकहोल्डर्स) को सजग, संवेदनशील व प्रतिबद्ध रहने की आवश्यकता है।उक्त बातें पटना डीएम डॉ चन्द्रशेखर सिंह ने कही!वे गुरुवार को पटना समाहरणालय में आयोजित एक उन्मुखीकरण कार्यशाला में प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे।
जिलााधिकारी ने कहा कि भिक्षावृति समाप्ति से ही सशक्त समाज संभव है।उन्होंने कहा कि समाज में हर व्यक्ति को प्रतिष्ठा व मर्यादा के साथ रहने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। संविधान के अनुच्छेद 21 में सम्मान के साथ जीने का मौलिक अधिकार दिया गया है। अतः भिक्षावृत्ति निवारण हेतु हम सभी सतत प्रयत्नशील रहें। अपने आस-पास के क्षेत्रों को पूर्णरूपेण भिक्षावृत्ति मुक्त कराने का संकल्प लें। जिलाधिकारी ने अधिकारियों को भिक्षुकों के पुनर्वास, आजीविका सहित समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए लगातार अभियान चलाने का निर्देश दिया। गौरतलब हो कि
इस कार्यक्रम में भिक्षावृति कार्य में लिप्त व्यक्तियों के पुनर्वास व समाज की मुख्य धारा से जोड़ने हेतु संवेदीकरण सत्र का आयोजन किया गया। जिसमें थाना प्रभारियों, स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों, भिक्षुक गृहों के संचालकों तथा अधिकारियों ने भाग लिया। समारोह में
सहायक निदेशक, जिला सामाजिक सुरक्षा कोषांग, स्नेहा व समाज कल्याण विभाग के पदाधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना सहित भिक्षावृति निवारण से संबंधित कानून एवं नियमों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। इसका मूल उद्देश्य भिक्षावृत्ति का सम्पूर्ण उन्मूलन है। यह योजना भिक्षावृति उन्मूलन तथा भिक्षुकों के पुनर्वास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जिलाधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना अन्तर्गत जिला प्रशासन, पटना द्वारा भिक्षावृत्ति से मुक्त कराए गए भिक्षुकों द्वारा हिंदी भवन एवं विकास भवन में पूर्व में स्टॉल भी लगाया गया था। भिक्षुकों के विभिन्न समूहों द्वारा निर्मित जूट बैग, दीपावली में प्रयोग आने वाले दीये, सजावट का सामान, अगरबत्ती, मसाले, चप्पल इत्यादि की बिक्री-प्रदर्शनी लगायी गयी थी।
डीएम ने कहा कि विषय काफी संवेदनशील है। भिक्षावृति का सबसे बड़ा कारण गरीबी है। इसमें शामिल लोग गरीबी के दुष्चक्र के शिकार हैं। भिक्षावृति उन्मूलन के लिए हम सभी को बहु-आयामी एवं ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भिक्षुकों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि भिक्षावृति व्यवसाय का रूप ले रहा है। यह संगठित रूप धारण कर रहा है। जिलाधिकारी ने कहा कि फोर्स्ड बेगरी पर सख्ती से रोक लगाने की आवश्यकता है। उन्होंने गिरोहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निदेश दिया। पुलिस पदाधिकारियों व जिला प्रशासन के पदाधिकारियोें को जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि जब भी रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जाए तो भिक्षुकों के रेस्क्यू के साथ-साथ यह भी देखा जाए कि इसके पीछे कोई रैकेट या नेटवर्क तो नहीं काम कर रहा है। अगर पर्दे के पीछे कोई गिरोह काम करते हुए पकड़ा जाए तो ऐसे असामाजिक तत्वों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई करें।
डीएम ने कहा कि पटना में कुल 15 से 20 ऐसे स्थान हैं। जहाँ बडे पैमाने पर भिक्षावृति की जाती है। एक अध्ययन के अनुसार पटना शहर में लगभग 2,223 भिक्षुक हैं जिसमें 43 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि जिला प्रशासन, पटना द्वारा विभिन्न विभागों के साथ संयुक्त रूप से भिक्षावृति उन्मूलन के लिए नियमित तौर पर स्पेशल ऑपरेशन चलाकर भिक्षुकों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने हेतु अपेक्षित कार्रवाई की जाती है। महावीर मंदिर, पटना जंक्शन, राजवंशी नगर हनुमान मंदिर, शीतला मंदिर अगमकुआँ, गुरूद्वारा पटना सिटी, काली मंदिर, बांस घाट, साईं मंदिर पाटलिपुत्रा, चिल्ड्रेन पार्क बोरिंग रोड, टेम्पू स्टैंड बोरिंग रोड, आर ब्लॉक मंदिर, नेहरू पथ विद्युत भवन के पास मजार व दानापुर रेलवे स्टेशन एवं अन्य चिन्हित स्थानों को भिक्षावृत्ति मुक्त किए जाने के लिए जिला प्रशासन, पटना द्वारा अन्य विभागों के साथ संयुक्त रूप से नियमित तौर पर कार्रवाई की जाती है। इसके लिए टास्क फोर्स सतत क्रियाशील है। मुख्यमंत्री भिक्षावृति निवारण योजना के तहत जिला प्रशासन, पटना द्वारा 4,820 भिक्षुकों को उनके परिवार से जोड़ा गया है। 125 से अधिक भिक्षुकों को 10,000 रूपये तक की स्वावलंबन योजना की राशि प्रदान की गई है जिससे वे लोग दुकान, ठेला आदि स्व-रोजगार कर रहे हैं। पटना में 20 से अधिक स्वयं सहायता समूह हैं जिनके बच्चों की पढ़ाई के लिए गर्दनीबाग, अदालत घाट, चितकोहरा पुल, स्टेशन आदि जगहों पर ब्रिज कोर्स का संचालन किया जा रहा है।
जिलाधिकारी ने सहायक निदेशक, जिला सामाजिक सुरक्षा कोषांग को भिक्षावृति के लिए संवेदनशील स्थानों के पास हेल्प डेस्क एवं काउण्टर स्थापित करने का निदेश दिया ताकि लोगों को भिक्षावृत्ति निवारण के प्रति जागरूक किया जा सके। उन्होंने कहा कि रेलवे परिसरों में नियमित तौर पर उद्घोषणा (एनाउंसमेंट) किया जाए। स्क्रीन पर भिक्षावृत्ति निवारण संदेशों से संबंधित विज्ञापन का प्रसारण किया जाए।
जिलाधिकारी ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर भिक्षुकों को दान देना पुण्य कमाने का साधन माना जाता है। इस प्रवृति के कारण भिक्षावृति को प्रोत्साहन मिलता है। इसे रोकने की आवश्यकता है। नागरिकों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाए कि भिक्षुकों के दान नहीं, सम्मान का हिस्सा बनिए। जिन्हें दान देना है वे भिक्षुकों के सहायता कोष (क्यूआर कोड) के माध्यम से दान दे सकते हैं ताकि भिक्षुकों के सहायतार्थ समाज कल्याण विभाग द्वारा आवश्यक कार्य किया जा सके। दान नहीं सम्मान एवं भिक्षा नहीं शिक्षा के कैम्पेन को आगे बढ़ाएँ। जिलाधिकारी ने कहा कि सार्वजनिक स्थलों पर भिक्षावृत्ति निवारण हेतु वृहत स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाए। इसका उद्देश्य ज्यादा-से-ज्यादा आबादी को जागरूक किया जाना है। भिक्षुकों को दी जाने वाली सहायता राशि के माध्यम से रोजगार हेतु क्रय किये गये ठेला पर विभागीय पोस्टर लगाने का निदेश दिया गया ताकि नगर निगम द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान में भिक्षुकों के ठेला को नहीं हटाया जा सके। यह भी निदेश दिया गया कि भिक्षुकों के उत्पादक समूहों द्वारा निर्मित जूट बैग यथा फाईल, फोल्डर इत्यादि की अधिक-से-अधिक बिक्री हेतु सभी जिला स्तरीय कार्यक्रमों में आपूर्ति कराया जाए। इससे भिक्षुकों के समूह को लाभ होगा।
जिलाधिकारी द्वारा निर्देश दिया गया कि योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु बैनर, पोस्टर, होर्डिंग इत्यादि लगाया जाए।
डीएम ने कहा कि भिक्षावृति केवल आर्थिक समस्या ही नहीं बल्कि सामाजिक और प्रणालीगत मुद्दा भी है। उन्होंने अधिकारियों को निदेश दिया कि रेस्क्यू किए भिक्षुकों का समुचित ढंग से पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन कराया जाए। उनके स्वास्थ्य की देखभाल, कौशल प्रशिक्षण एवं जीविकोपार्जन के लिए बेहतर ढ़ंग से व्यवस्था रहनी चाहिए। जिलाधिकारी ने कहा कि सतत जीविकोपार्जन योजना एवं अन्य योजनाओं से भी भिक्षुकों को जोड़ा जा सकता है।
जिलाधिकारी ने कहा कि पुलिस पदाधिकारी भिक्षावृति के साथ-साथ अन्य गैर-कानूनी कामों यथा चेन स्नैचिंग, चोरी, पॉकेटमारी, वेश्यावृति, नशाखोरी इत्यादि में शामिल लोगों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई करें।

जिलाधिकारी ने कहा कि पटना जिला में कुल 04 भिक्षुक गृह संचालित हैं। प्रत्येक की आवासन क्षमता 50-50 है। यहाँ भिक्षुकों को रेस्क्यू, रिहैबिलिटेट एवं रिस्टोर किया जाता है। 02 पुरूष भिक्षुक गृह सेवा कुटीर एवं 02 महिला भिक्षुक गृह शांति कुटीर है। वैसे महिला एवं पुरूष जो सड़कों पर दयनीय अवस्था में रहते हैं उन्हें गृह के माध्यम से उपचार कराकर काउंसलिंग कर उनके घर पर पुनर्वासित किया जाता है। गृह में भोजन, वस्त्र, चिकित्सा आदि की व्यवस्था है। गृह में रह रहे लाभार्थी का आधार कार्ड, बैंक खाता, रोजगार, पेंशन एवं सामाजिक सुरक्षा के अन्य सेवाओं से लाभांवित किया जाता है। मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना अंतर्गत भिक्षावृत्ति कर रहे भिक्षुकों को स्वावलंबन योजना अंतर्गत उन्हें रिक्शा, ठेला एवं अन्य कार्य करने हेतु दस हजार रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करायी जाती है। ताकि वे भिक्षावृत्ति छोड़ सकें।
कार्यशाला में उप विकास आयुक्त, पटना श्री समीर सौरभ, पुलिस उपाधीक्षक रेलवे, समाज कल्याण विभाग के अधिकारीगण, जिला प्रशासन, पटना के विभिन्न विभागों यथा सामाजिक सुरक्षा, आईसीडीएस, आईपीआरडी, श्रम, बाल संरक्षण इकाई, स्वास्थ्य, इत्यादि के पदाधिकारीगण सहित बैंक, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो एवं अन्य संबंधित विभागों/संस्थाओं के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

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