भाजपा राज्य में अशांति का वातावरण पैदा कर राष्ट्रपति शासन लागू करवाना चाहती :  नायक

रांची : अल्पसंख्यकों पर पुलिस के द्वारा डायरेक्ट गोली चला कर  हेमंत सोरेन सरकार को बदनाम करने की साजिश का भंडाफोड़ सेवा निवृत  उच्च न्यायालय के पांच सदस्यीय जजों  की उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर जांच कराई जाय ।
उपरोक्त बातें झारखंडी सूचना अधिकार मंच के केंद्रीय अध्यक्ष सह हटिया विधानसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने कही ।इन्होंने यह भी कहा कि आखिर किस परिस्थिति में पुलिस ने आखरी विकल्प गोली चलाने को ही चुना , जुलूस को तितर बितर करने के लिए  जबकि पुलिस के पास काफी विकल्प थे जुलूस को तितर बितर करने के लिए लाठी चार्ज,पानी का फोहरा,रबर गोली,आशुगैश,उसके बाद अंतिम विकल्प गोली चलाना वो भी कमर के नीचे गोली मारना मगर कई अल्पसंख्यकों को कमर के ऊपर गोली लगी और मौत हुई जो गहन जांच का विषय है ।
श्री नायक ने आगे कहा की कुछ भाजपा समर्थक पदाधिकारी सरकार को बदनाम करने के षड्यंत्र में लगे हुए है  और वे सरकार को बदनाम कर राज्य को अशांति की ओर ले जाकर विधि व्यवस्था को फेल कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करवाने की दिशा में काम कर रहे हैं जिसका ही उदाहरण है की खुफिया विभाग के द्वारा दिए गए जानकारी के बाद भी 10 जून के जुलूस में शांति व्यस्था लागू कराने  के लिए कोई भी ठोस पहल नही की गई और ना ही शहर में पुलिस की उचित संख्या में व्यस्था नही की गई और न ही अर्धसैनिक बलों की बंदोबस्ती किया गया और ना ही ऐसे कदम उठाए गए जिससे अमन चैन शांति का खतरा उत्पन्न ना हो सके ।
श्री नायक ने साफ शब्दों में कहा की कुछ अधिकार अपनी विफलता को छुपाने के लिए और हेमंत सोरेन की सरकार को अल्पसंख्यकों के बीच बदनाम करने  के लिए ही गोली डायरेक्ट चलाने का कार्य किया जिसका परिणाम यह हुआ कि कई अल्पसंख्यक लोग गोली के शिकार हुए और सरकार की बदनामी हुई ।
श्री नायक ने हेमंत सोरेन से मांग किया की गोली से मृत अल्पसंख्यक भाइयों के आश्रित परिवार के लोगों को  एक करोड़ रूपया मुआयजा दिया जाय और एक परिवार को तृतीय वर्ग में नौकरी देने का कार्य करे क्योंकि कुछ ऐसे भी परिवार के युवक थे की वही घर को कमा कर घर चलाते थे किन्ही का तो इकलौता पुत्र भी था घायलों को पचास लाख रुपया और सरकारी निः शुल्क चिकितिशा सुविधा दिया जाय  ताकि अधिकारियों की गलती को सुधारा जा सके ।

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