नीतीश के मास्टरप्लान के आगे बीजेपी ने टाला एजेंडा,अब जातीय जनगणना का विरोध नहीं
अनूप कुमार सिंह
पटना: बिहार के राजनीतिक गलियारों में फिलहाल कई सवाल खड़े हो गए हैं।कहते हैं कि जब भी जाहे,अपनी दुनियां बसा लेते हैं लोग, एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोग!ये कहावत फिलवक्त बिहार में बीजेपी व जेडीयू दोनों दलों पर पूरी तरह चरितार्थ हो रही है।
बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार के मास्टर प्लान के आगे बिहार बीजेपी ने अपने एजेंडा को फिलहाल टालते हुए, जातीय जनगणना पर यूटर्न ले लिया है।जहाँ तक विपक्ष की मानें तो बिहार भाजपा नीतीश कुमार के आगे झुकते हुए उनकी सारी शर्तें मानने को विवश हो गई है।हालांकि बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल की मानें तो उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 1 जून को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक आयोजित किया गया है।उक्त बैठक में बीजेपी भाग लेगी।जबकि इससे पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का बयान आया था कि केन्द्र सरकार के निर्देश के आलोक में बिहार भाजपा देश में सिर्फ दो जाति को ही मानती है, एक गरीब व दूसरा अमीर!इसके अलावा कोई जाति फैक्टर नहीं है।
बहरहाल बीजेपी के तत्काल यूटर्न लेने के कई प्रमुख कारण हैं।गौरतलब हो कि पिछले कुछ दिनों से बिहार में जातीय जनगणना को लेकर नीतीश कुमार व विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव काफी करीब आने लगे हैं।रमजान के समय तो एक दूसरे से मिलने के लिए दोनों नेताओं ने लगातार एक दूसरे को बुलावा भेजा।विगत कुछ दिनों में ही तीन बार नीतीश व तेजस्वी की मुलाकात ने बीजेपी के केन्द्र सरकार व बिहार भाजपा की नींद हराम कर दी।पिछले एक दिन पहले केन्द्र सरकार के बुलावा पर बिहार के महामहिम राज्यपाल दिल्ली गए।
इधर नीतीश कुमार ने बीजेपी को एक बड़ा झटका देते हुए केंद्र की सरकार में शामिल इस्पात मंत्री व अपने दल के वरिष्ठ नेता आरसीपी सिंह को राज्यसभा में नहीं भेजकर,अपने पार्टी के एक बहुत पुराने नेता अनिल हेगड़े को निर्विरोध राज्यसभा भेजने का निर्णय लेकर सबको चौंका दिया।हालांकि आरसीपी सिंह का समय अभी थोड़ा ही बचा है।अगर जेडीयू उन्हें राज्यसभा नहीं भेजती है तो उनको मंत्री पद छोड़ना पड़ सकता है।
दिलचस्प बात तो यह है कि नीतीश कुमार के मन में क्या चल रहा है! ये जानकारी लेना किसी के लिए भी बहुत आसान नहीं है।बिहार में राजनीतिक दलों के अंदर हलचलों का बाजार गर्म है।उधर जहाँ सीबीआई की रेड से लालू परिवार में उथल पुथल मच गया है, वहीं मीसा भारती को राजद कोटे से राज्यसभा भेजने को लेकर पूरा लालू परिवार आमने सामने है।विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव अब राजद में किसी भी हाल में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं लेकिन उनके ही परिवार वालों से उन्हें काफी चैलेंज मिल रहा है।
गौर करने वाली बात तो यह है कि गुरुवार को काफी दिनों बाद नीतीश सरकार की कैबिनेट की बैठक हो रही है।हालांकि बीजेपी व जदयू के आपसी खींचतान व दोरंगी नीति के कारण बिहार में अभी तक कैबिनेट का विस्तार नहीं हो पाया है।अब आगे देखना होगा कि बीजेपी ने नीतीश कुमार के हाथ में गेंद डाल दी है।बिहार के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज गति से फैल रही है कि कहीं पुनः नीतीश कुमार कोई बहुत चौंकाने वाला फैसला लेने की तैयारी में तो नहीं हैं।जाहिर सी बात है कि नीतीश कुमार को जो लोग भी बहुत करीब से जानतें हैं वो बखूबी समझते भी हैं कि वो कोई आधार व अपने बेहतर भविष्य को देखते हुए ही कोई भी कदम उठाते हैं।