बीजेपी ने आदिवासी महिला को राष्ट्रपति पद तक पहुंचाया जो कांग्रेस को रास नहीं आ रहा : चंपई सोरेन

सरायकेला : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेकर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी द्वारा कथित रूप से “पुअर लेडी” (बेचारी महिला) कहे जाने पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और सरायकेला विधायक चंपई सोरेन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कांग्रेस पर आदिवासी विरोधी मानसिकता रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक साधारण आदिवासी महिला को देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचाना कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। चंपई सोरेन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने एक गरीब आदिवासी महिला को देश के राष्ट्रपति पद तक पहुंचाया, जो कांग्रेस पार्टी को रास नहीं आ रहा। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी का बयान पूरे आदिवासी समाज के लिए अपमानजनक है और इसका विरोध किया जाएगा। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि आज तक कांग्रेस पार्टी ने आदिवासियों के हित में कुछ भी नहीं किया। उल्टा, कांग्रेस ने हमेशा आदिवासियों की संस्कृति, पहचान और धर्म को खत्म करने का प्रयास किया है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी ने झारखंड आंदोलन को कुचलने और आदिवासियों पर गोलियां चलवाने का काम किया। चंपई सोरेन ने कांग्रेस से माफी की मांग करते हुए कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू न केवल एक आदिवासी महिला हैं, बल्कि इस देश की सर्वोच्च संवैधानिक पद पर हैं। ऐसे में उनके लिए ‘बेचारी’ जैसे शब्द का इस्तेमाल करना पूरे आदिवासी समाज और नारी सम्मान का अपमान है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी को पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि यह केवल राष्ट्रपति का नहीं, बल्कि पूरे आदिवासी समाज और महिलाओं का अपमान है। चंपई सोरेन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ही एकमात्र पार्टी है जो आदिवासियों के उत्थान के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने योजनाओं के माध्यम से आदिवासियों को ऊंचे पदों तक पहुंचाने का कार्य किया है, जबकि कांग्रेस हमेशा आदिवासियों को दबाने का प्रयास करती रही है। झारखंड में कांग्रेस सरकार को भ्रष्टाचार का अड्डा बताते हुए चंपई सोरेन ने कहा कि यह सरकार आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के विकास में रोड़ा बन रही है। पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के इस बयान से झारखंड की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो सकता है। बीजेपी पहले से ही कांग्रेस पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाती रही है, और अब इस मामले में विरोध और तेज होने की संभावना है। क्या कांग्रेस इस बयान पर सफाई देगी, या इस विवाद से झारखंड की राजनीति में नया मोड़ आएगा? यह देखना दिलचस्प होगा।

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