भाजपा का अरवा चावल प्रेम के भी हैं कई मायने, आदिवासी रैली के बहाने दिखाएगी ताकत

रांचीः झारखंड प्रदेश भाजपा के अरवा चालव प्रेम के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। इसकी चर्चा भी सत्ता के गलियारों में हो रही है। पांच जून को रांची में होने वाली आदिवासी महारैली से पहले प्रदेश भाजपा अरवा चावल बांट कर कई निशाने साधने की कोशिश में है। इस रैली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शिरकत करेंगे। अब बात अरवा चावल की। अरवा चावल के बहाने बीजेपी आदिवासी बहुल क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश करेगी। यही वजह है कि बीजेपी ने अपने जनजाति मोर्चा के कार्यकर्ताओं को अपने-अपने गांव, पंचायत में बैठक कर अरवा चावल देकर सभी को आमंत्रित करने को कहा है। भाजपा इस रैली के माध्यम से यह भी संदेश देना चाहती है कि पार्टी को आदिवासियों की चिंता है। ऐसा इसलिए भी कि राज्य में विधानसभा की 81 सीटों में 28 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। जो सत्ता के खेल में अहम रोल भी निभाती हैं। इन सीटों पर फतह हासिल किए बिना सत्ता में आना आसान नहीं होता। इन सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए बीजेपी ने यह रणनीति बनाई है। साथ ही आदिवासी महारैली के बहाने अपनी ताकत भी दिखाने की कोशिश करेगी। आंकड़े बताते हैं कि 2005 के विधानसभा चुनाव में 09 और 2009 में 09 एसटी सीटों पर भाजपा को जीत मिली. वहीं 2014 के विधानसभा चुनाव में एसटी सीटों में दो का इजाफा हुआ था। भाजपा की झोली में एसटी की 11 सीटें आईं थीं। वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में यह घटकर सिर्फ दो ही रह गया। खूंटी और तोरपा से भाजपा के नीलकंठ सिंह मुंडा और कोचे मुंडा विजयी रहे. यह बीजेपी के लिए काफी नुकसान दायक भी रहा। जब सत्ताधारी दल झामुमो ने एसटी की 19 सीटों पर अपनी जीत हासिल की थी।

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