और जब ट्रेन के छह डिब्बे समा गए थे नदी की धारा में*………..

6 जून 1981 यानि आज से ठीक 42 साल पहले का वक्त जिसे याद करने के बाद आज भी रूह कांप जाती है. जी हां यह देश का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल हादसा है, जिसमें करीब सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गये. वह मनहूस दिन जब मानसी से सहरसा की ओर जा रहे यात्रियों से खचाखच भरी नौ डिब्बों की एक ट्रेन जिसमें सभी यात्री अपने अपने कामों में व्यस्त थे. कोई बात करने में मशगूल था तो कोई मूंगफली खा रहा था. कोई अपने रोते बच्चों को शांत करा रहा था तो कोई उपन्यास बढ़ने में व्यस्त था. इसी वक्त अचानक से ट्रेन हिलती है. यात्री जब तक कुछ समझ पाते तब तक पटरी ट्रैक का साथ छोड़ते हुए लबालब भरी बागमती नदी में जल विलीन हो जाती है. कैसे हुआ था हादसा आज से ठीक 38 वर्ष हुए भारत के सबसे बड़े रेल दुर्घटना के कारणों पर यदि गौर करें तो इस रेल दुर्घटना से जुड़ी दो थ्योरी हमेशा से प्रमुखता से लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी रही. घटना से जुड़ी थ्योरी यह है कि छह जून 1981 दिन शनिवार की देर शाम जब मानसी से सहरसा ट्रेन जा रही थी तो इसी दौरान पुल पर एक भैंस आ गया जिसे बचाने के लिए ड्राइवर ने ब्रेक मारी पर बारिश होने की वजह से पटरियों पर फिसलन की वजह से गाड़ी पटरी से उतरी और रेलवे लाइन का साथ छोड़ते हुए सात डिब्बे बागमती नदी में डूब गये. जबकि इस एक्सीडेंट से जुड़ी दूसरी थ्योरी यह है कि पुल नंबर 51 पर पहुंचने से पहले जोरदार आंधी और बारिश शुरू हो गयी थी. बारिश की बूंदे खिड़की के अंदर आने लगी तो अंदर बैठे यात्रियों ने ट्रेन की खिड़की को बंद कर दिया. जिसके बाद हवा का एक ओर से दूसरी ओर जाने के सारे रास्ते बंद हो गये और तूफान के भारी दबाव के कारण ट्रेन की बोगी पलट कर नदी में जा गिरी. मृतकों की संख्या पर कंफ्यूजन वर्ष 1981 के सातवें महीने का छठा दिन 416 डाउन पैसेंजर ट्रेन के यात्रियों के अशुभ साबित हुआ और भारत के इतिहास के सबसे बड़ी रेल दुर्घटना में शुमार हुआ. इस दुर्घटना में पैसेंजर ट्रेन की सात बोगियां बागमती नदी की भेंट चढ़ गयी. वही घटना के बाद तत्कालीन रेलमंत्री केदारनाथ पांडे ने घटनास्थल का दौरा किया. हालांकि, घटना के बाद रेलवे द्वारा बड़े पैमाने पर राहत व बचाव कार्य चलाया गया परंतु रेलवे द्वारा घटना में दर्शायी गयी मृतकों की संख्या आज भी कन्फ्यूज करती है क्योंकि सरकारी आंकड़े जहां मौत की संख्या सैकड़ो में बताते रहे तो वही अनाधिकृत आंकड़ा हजारों का था

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