एक जून की सर्वदलीय बैठक से साफ हो जाएगा जातीय जनगणना का रास्ता

गणादेश ब्यूरो
पटना: बिहार में जातीय जनगणना को लेकर स्थिति स्पष्ट होती जा रही है। भाजपा ने भी स्पष्ट किया है कि वह जातीय गणना की विरोधी नहीं रही है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि बिहार विधानमंडल ने जो सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया,उसमें भाजपा भी शामिल थी। यानी यह एक तरह से स्पष्ट है कि बिहार भाजपा भी जातीय जनगणना के समर्थन में उतर आई है।
जदयू और राजद समेत शेष दल तो जातीय जनगणना पर पहले से सक्रिय समर्थन की बात कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा के समर्थन में आ जाने से 1 जून की प्रस्तावित सर्वदलीय बैठक में जाति जनगणना के पक्ष में माहौल बनना ही है और फिर कैबिनेट में फैसला लेकर सरकार इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ सकती है, लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि क्या इससे एक बार फिर आरक्षण का जिन्न बाहर नहीं निकलेगा! क्या यह मंडल पार्ट टू नहीं होगा! क्या प्रदेश की सामाजिक व्यवस्था पर इससे चोट नहीं पहुंचेगी!
इसके साथ ही बड़ा सवाल यह भी कि अगर भाजपा जातीय जनगणना के समर्थन में है तो फिर संसद में रिकॉर्ड पर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जातीय जनगणना संभव नहीं होने की बात क्यों की थी! वह कौन सा स्टैंड था!
ऐसे कई सवाल आनेवाले दिनों में बहुत महत्वपूर्ण होनेवाले हैं। क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपना मास्टर कार्ड खेल रहे हैं ! क्योंकि जातीय जनगणना के नतीजे बिहार के सियासी भविष्य को लेकर बड़ा सवाल खड़ा करेंगे। कहीं ऐसा न हो कि अन्य मुद्दे गौण हो जाएं और बिहार एक अग्निपथ पर चल पड़े। जहां सियासत के चूल्हे पर सामाजिक भाईचारा जलने लगे। ये सब कुछ प्रश्न हैं। कुछ आशंकाएं हैं,लोगों के मन में। इन आशंकाओं का निराकरण राज्य सरकार को कर ही देना चाहिए।

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