आखिर कौन कर रहा कांग्रेस के बागी विधायकों को लीड, रहस्य बरकार, बाबूलाल ने आलाकमान को सौपी रिर्पोट

एनसीपी विधायक कमलेश सिंह भी कह चुके हैं सरकार को समर्थन देने से नहीं हुआ कोई फायदा
रांची। झारखंड की राजनीति पल पल रंग बदल रही है। राजनीतिक संकट पर सरकार दोतरफा घिरी हुई है। एक तरफ खदान लीज का मामला तो दूसरी तरफ कांग्रेस के अंदर सुलग रही ज्वाला। बस ज्वालामुखी के फटने का इंतजार है। राष्ट्रपति चुनाव के बाद सत्ता के गलियारों में इस बात की चर्चा जोर हो गई है कि आखिर कांग्रेस के बागी विधायकों को लीड कौन कर रहा है। राष्ट्रपति चुनाव में हुए क्रॉस वोटिंग ने झारखंड की राजनीति में खलबली मचा दी है। सत्ता के गलियारों में जितनी मुंह उतनी बातें सामने आ रही हैं। लेकिन एक बात कॉमन वह है कि अधिकांश लोगें की जुबां पर कैबिनट मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव का नाम आ रहा है। वहीं एक और कैबिनेट मंत्री बन्ना गुप्ता भी रेस में हैं। यह बात भी जगजाहिर हो चुकी है कि कांग्रेस के आदिवासी विधायकों ने ही यशवंत सिन्हा को वोट देने की बजाय द्रौपदी मुर्मू को वोट कर दिया। माना जा रहा है कि ऐसे विधायकों पर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस आगे कदम भी नहीं बढ़ा सकती है, ऐसा होने की स्थिति में यह गुट सशक्त होता जाएगा। पार्टी भी इंतजार कर रही है कि आखिर कौन इनका नेतृत्वकर्ता है। वहीं बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी आलाककमान को रिर्पोट सौंप कर रांची आ चुके हैं। दरअसल धुँआ वहीं दिखाई देता है जहां आग लगी हो। कांग्रेस के जिन विधायकों ने आलाकमान के निर्देशों की अनदेखी कर राजग उम्मीदवार को वोट दिए, उन्हें पार्टी नेतृत्व भी संशय की नजर से देख रहा है। ऐसे में इस बात को कतई नकारा नहीं जा सकता कि कांग्रेस के विधायक सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दें। इधर एनसीपी के विधायक कमलेश सिंह भी मीडिया के सामने कह चुके हैं कि सरकार को समर्थन देने का कोई फायदा नहीं हुआ। अफसरों ने चारों तरफ लूट मचा रखी है । बीडीओ और सीओ सीधे मुंह बात नहीं करते। यही हाल रहा तो वे कड़ा फैसला लेने को बाध्य होंगे। जल्द ही इस मसले पर दिल्ली जाकर राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से बातचीत करेंगे। वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। जो भी हो झारखंड की राजनीति में उछल-पुथल मची हुई है। आने वाला समय ही बताएगा कि कौन किस करवट बैठेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *