उलीडीह करकरी नदी पर लगा दो दिवसीय टुसु मेला
रांची: रांची के सुदूर पूर्वी क्षेत्र तमाड़ के उलीडीह ग्राम में स्वर्णरेखा की सहायक करकरी नदी के तट लगने वाले दो दिवसीय टुसू मेले के समापन अवसर पर लगभग बीस हजार से अधिक लोगों के विशाल जनसमूह के बीच आसपास गावों से आए बहुत से चौड़ल दल आए थे. अपने अपने गावों से लाए चौड़ल के साथ परम्परागत वेश भूषा में गाजे भाजे व ढ़ोल नगाड़ों के साथ महिला पुरुषों बालक बालिकाओं व युवक-युवतियों के नृत्य दल भी आए हुए थे. बहुत उत्साह और जोश खरोश के साथ उन्होंने पचपरगना भाषा के लोकगीतों से सारे वातावरण को गुंजायमान करते हुए आकर्षक सामूहिक नृत्य भी प्रस्तुत किये.
मेले में आए सभी चौड़ल और चौड़ल के साथ आए नृत्य दलों को नगद पुरस्कार से सम्मानित किया गया. विश्व हिन्दू परिषद झारखंड के अशोक कुमार अग्रवाल प्रांत सह सेवा प्रमुख द्वारा सभी चौड़ल और नृत्य दलों के प्रमुखों को सद्भावना स्वरूप एक एक श्रीरामचरितमानस की प्रति उपहार में दी गई ताकि गांव गांव में राम नाम का अघिक से अधिक प्रभाव बन सके. सभी चौड़ल व नृत्य दलों को नकद पुरुस्कार राशि पूर्वी तमाड़ की जिला परिषद सदस्या भवानी सिंह मुंडा, विधायक प्रतिनिधि ऋषिकेश महतो, उलीडीह पंचायत मुखिया व मेला के अध्यक्ष सुखराम सिंह मुंडा व अन्य प्रमुख गण्यमान्य व्यक्तियों के कर कमलों द्वारा दी गई. सभी सम्मानित चौड़ल दलों के प्रमुखों मंचासीन गण्यमान्य व्यक्तियों को रांची हरमू से आए बिजय मिंज द्वारा शॉल ओढ़ा कर सम्मानित किया गया.
विश्व हिन्दू परिषद सेवा विभाग झारखंड के प्रवक्ता संजय सर्राफ ने बताया कि ये टुसू मेले पचपरगना क्षेत्र में सामाजिक समरसता का प्रतीक एक सामाजिक आर्थिक विकास की परंपरा को आगे बढ़ाने वाला त्यौहार है. यह कृषि से जुड़ा त्यौहार है. जैसा कि देश के हर कोने में विभिन्न नामों से यह पर्व मनाया जाता है उसी प्रकार रांची जिले के पचपरगना क्षेत्र में यह टुसु पर्व के रूप में मनाया जाता है, यह पर्व जिसे लोग मकर संक्रांति से लेकर शिवरात्रि तक नदी किनारे मेलों के रूप में लगाते हैं. इन मेलों में ऊंच-नीच, गरीब-अमीर, छोटे-बड़े का भेद-भाव मिटा सभी मत-पंथ के लोग उत्साह से परम्परागत रूप में नाचते-गाते भाग लेते हैं. छोटे बड़े दुकानदार अपना हर प्रकार का व्यापार करते हैं.
इस अवसर पर बुंडु सीडीपीओ/उप अधीक्षक पुलिस ओम प्रकाश, तमाड़ थाना प्रभारी और महिला थाना नशामुक्ति जागरुकता अभियान के अन्तर्गत ग्रामीण जनों को अफीम की खेती से अलग रहने का संदेश दिया इसके लिए झारखंड सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय की ओर से तैयार एक आकर्षक नृत्य नाटिका भी मेले में प्रस्तुत की गई. जिसमें बताया गया कि किस प्रकार लोग अफीम की खेती कर अपने घर परिवार व समाज को बर्बाद कर रहे हैं श्री ओमप्रकाश जी ने बताया की थोड़े से धन के लालच में लोग अपनी आगे आने वाली पीढ़ी को बर्बाद कर रहे, अपनी आने वाली पीढ़ीओं को नशे के गर्त में ढ़केल रहे हैं. हमें इनसे बचना चाहिए और समाज को नशे से दूर रखने का प्रयास करना चाहिए. अफीम की खेती के स्थान पर सब्जी व अन्य नकद फसलों उगाकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करनी चाहिए.
अशोक अग्रवाल ने बताया कि इस क्षेत्र में पहले केवल सतीघाट बारेन्दा सोनाहातू प्रखंड में ही टुसू मेला लगता था, परंतु अथक प्रयास कर आज से 38 वर्ष पूर्व सोनाहातू प्रखंड के सितुमडीह, लान्दुपडीह तमाड़ प्रखंड के पारसी, ऐदेल पीढ़ी (पुन्डीदिरी), घाघर सतिया, ईचागढ़ में पिलीद हाईस्कूल व बुंडु प्रखंड के ऐदेल हातू स्थित सूर्य मंदिर पर मेलों की शुरुआत की गई. आज तो इस क्षेत्र में 25 से 30 मेले लगने लगे हैं. ये मेले पूरे क्षेत्र में न केवल सामाजिक समरसता के पर्याय बन गए हैं वही सामाजिक आर्थिक विकास में मील के पत्थर बनते जा रहे हैं।

