एक ऐसा स्कूल जहां ना प्रार्थना होती है और ना इबादत…

गढ़वा  : जहां तक मुझे याद है,मेरा दावा है की आपके जेहन में भी यह याद पूरी तरह ताज़ा होगा की जब हम आप बचपन में स्कूल में पढ़ा करते थे तो पढ़ाई शुरू होने से पहले हमें प्रार्थना करना होता था,और जब प्रार्थना करते थे तो दोनो हाथ को जोड़ते हुए प्रार्थना की पंक्ति को दुहराया करते थे,साथ ही यह भी याद ही होगा की जब प्रार्थना के वक्त हमारा हाथ नहीं जुड़ा हुआ हमारे शिक्षकों नज़र आ जाता था तो क्लास में हमें मार भी खानी पड़ती थी,लेकिन अब शायद हाथ जोड़ना उचित नहीं है या ज़रूरी नहीं है,क्योंकि क्या आपको मालूम है की झारखंड के गढ़वा जिला में एक ऐसा भी स्कूल है जहां प्रार्थना के वक्त बच्चे हाथ नहीं जोड़ते,ऐसी बात नहीं की वो अनुशासनहीन हो गए हैं,बात यहां यह है की उन्हें हाथ जोड़ने से मना किया गया है,स्कूल प्रबंधन को ताक़ीद किया गया है की प्रार्थना होगी जरूर पर बच्चे हाथ नहीं जोड़ेंगे,वो स्कूल कौन सा है और आख़िर किसने रोक लगाई है आइए आपको इस ख़ास ख़बर के जरिए बताते हैं।

इस स्कूल में ना तो प्रार्थना होती है और ना इबादत: अबोध बच्चों को यह कैसी लगाई जा रही है आदत,क्योंकि इस स्कूल में ना तो प्रार्थना होती है और ना ही इबादत”,पहले तो आप मेरे ख़बर का शीर्षक एक ऐसा स्कूल जहां हाथ जोड़ कर प्रार्थना करना मना है,और अब इस पाराग्राफ में यह पढ़ कर की बच्चों को यह कैसी लगाई जा रही है आदत,क्योंकि इस स्कूल में ना तो प्रार्थना होती है और ना ही इबादत को पढ़ते हुए जरूर सोच रहे होंगे की एक तरफ़ हाथ नहीं जोड़ना तो दूसरी ओर ना तो प्रार्थना और ना ही इबादत तो आपको बताऊं की आप गलत नहीं बल्कि पूरी तरह सही तथ्य पढ़ रहे हैं,क्योंकि झारखंड के गढ़वा जिला में एक स्कूल है कोरवाडीह जहां पढ़ने वाले बच्चे पूरी नहीं बल्कि अधूरी प्रार्थना में शामिल होते हैं,कारण की वो ना तो प्रार्थना के पूरी स्वरूप में होते हैं और ना ही इबादत के,केवल मैं लिख नहीं रहा हूं आप तस्वीरों में भी देख रहे होंगे की बच्चे प्रार्थना ज़रूर कर रहे हैं पर वो हाथ नहीं जोड़े हैं,वो ऐसा ख़ुद नहीं करते बल्कि उन्हें ऐसा करने से रोका गया है,यहां बताऊं की सभी निजी और सरकारी स्कूलों की तरह इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी पढ़ाई शुरू होने से पूर्व प्रार्थना किया करते थे और सभी हाथ जोड़ा करते थे,पर कुछ साल पहले उनके हाथ जोड़ने पर रोक लगा दी गई है,ऐसा रोक ना तो स्कूल प्रबंधन ने लगाया है और ना तो कोई विभागीय आदेश है,बल्कि यह रोक उनके अभिभावकों ने ही लगाई है।

मैं क्या करूं,लाचार हूं: बच्चों के अभिभावकों ने रोक लगाई है,यह हम ख़ुद से नहीं कह रहे,बल्कि उक्त स्कूल के प्रधानाचार्य ने हमें बताया कि यहां भी बच्चे और स्कूलों की तरह हाथ जोड़ कर और पूरे मनोयोग से प्रार्थना किया करते थे पर कुछ अरसा पहले गांव के कुछ लोग आए और बोले की अब से इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे प्रार्थना तो ज़रूर करेंगें पर वो हाथ नहीं जोड़ेंगे,उनके ऐसा कहने के बाद इस बात को पंचायत में भी रखा गया की सभी स्कूलों में बच्चे हाथ जोड़ कर प्रार्थना किया करते हैं,ऐसे में केवल इस स्कूल में ऐसा कैसे हो सकता है,पंचायत के मुखिया द्वारा भी इस पर ऐतराज ज़ाहिर किया गया पर आगे चल कर बात आई गई वाली हो कर रह गई और आज तलक स्कूल में प्रार्थना तो ज़रूर हो रहा है पर बच्चे हाथ नहीं जोड़ा करते,ऐसा होना पूरी तरह गलत है पर मैं क्या कर सकता हूं।

होगी जांच: इस बावत जब हमने जिला शिक्षा अधीक्षक मयंक भूषण से बात की तो उन्होंने कहा की ऐसी जानकारी पत्रकारों से ही हुई है,पहले स्कूल में पहुंच पूरे मामले की जानकारी ले लेता हूं उसके बाद ही इस गंभीर विषयक कुछ कहना उचित होगा।

आपने पूरी बात को जान लिया,स्कूल के प्रधानाचार्य की लाचारी को भी समझ लिया,अधिकारी भी इस विषय को ले कर पूरी तरह गंभीर हैं,बात सब है लेकिन यहां पर सोचने वाली यह बात है की स्कूल में पढ़ने वाले इन अबोध बच्चों के बालमन को किस दिशा में ले जाया जा रहा है।

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