कांग्रेस और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने स्वर्गीय कार्तिक उरांव के सपना को चकनाचूर किया: सत्यनारायण लकड़ा

रांची: अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद् के कार्यालय में मंगलवार को एक आवश्यक बैठक की गई. इस बैठक में सर्वविदित केंद्रीय सरना स्थल सिरमटोली के ज्वलंत मुद्दे पर बैठक की गई. परिषद् के अध्यक्ष सत्यनारायण लकड़ा ने बताया कि स्वर्गीय कार्तिक उराव ने 70 के दशक में झारखण्ड में झारखण्ड पार्टी का वर्चस्व ख़त्म करके कांग्रेस की नींव रखी थी. वहीं कांग्रेस आज झारखण्ड मुक्ति मोर्चा जैसी क्षेत्रीय पार्टी से सांठ-गांठ करके सत्ता के लालच में सरकार चला रही है. एक राष्ट्रीय पार्टी का अस्तित्व खो चुकी कांग्रेस सत्ता के लालच में अपनी राष्ट्रीय गरिमा को धूमिल कर रही है. वहीं आज कांग्रेस और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने मिलकर आदिवासियों को धार्मिक आस्था से खिलवाड़ करने में तुली है और आदिवासियों के आदिवासियत समाप्त करने में लगी है. पहले कांग्रेस पार्टी में ईमानदारी और वफ़ादारी की जमात थी, लेकिन आज उसकी कमी महसूस हो रही है.
स्वर्गीय कार्तिक उराव का सपना था कि कांग्रेस में रहकर आदिवासियों की धर्म, संस्कृति और परंपरा को सुरक्षित रखकर उनको संरक्षित करना और विकसित करना. वे आदिवासियों को राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर अच्छी छवि और पहचान दिलाना चाहते थे. इसी उदेश्य को लेकर उन्होंने रांची से एक शुरुआत की थी. दूसरों की संस्कृति और परंपरा से एक अलग आदिवासियों की आस्था को जीवंत रखने हेतु एक संगठन बनाया, जिसका नाम अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद् रखा. आदिवासी भाई-बहन शिक्षित हों, अपनी भाषा, संस्कृति और परंपरा को बचा कर रखें, इसी उदेश्य से उन्होंने पुरे भारत में आदिवासियों को इसी संस्था के माध्यम से एक मंच पर लाकर खड़ा किया. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गाँधी ने 30 दिसंबर 1968 को अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद् के रांची स्थित केंद्रीय कार्यालय का उद्घाटन किया था.
कार्तिक उराव एक कुशल अभियंता थे, साथ हीं साथ सामाजिक बिचारधारा वाले व्यक्ति थे. वे चिंतित रहते थे कि आदिवासियों का सर्वागिन विकास कैसे हो और वे अपनी संस्कृति- परंपरा को सुरक्षित कैसे रखें? इसी उदेश्य को लेकर उन्होंने रांची में प्रकृति पर्व सरहुल के सुअवसर पर सरहुल शोभायात्रा की शुरवात 1967 में करायी थी, जो दो प्रमुख सरना स्थल हतमा से लेकर सिरमटोली सरना स्थल पर जाती है. इस सरहुल शोभायात्रा की शुरुवात जाने माने प्रमुख समाजसेवियों ने किया था, जिनमे करामचंद भगत, भुखला भगत, इंदुनाथ भगत, मिशिर उराव, उमराव साधो कुजूर, वैरागी उराव, जवरा उराव, महादेव उराव, भुवन मोहन मुंडा, कृतिवाश मुंडा, मुरलीधर सिंह मुंडा, भैयाराम मुंडा, फागु मिंज, राजू टोप्पो, महंती टोप्पो, राकेश मुंडा, देवेंद्र सिंह मुंडा, जगतनारायण भगत, कुंवर खलखो, अशोक उराव, अशोक टोप्पो, भोला उराव, डॉक्टर विष्णु भगत, जेना मिंज, निर्गुण उराव, रमन कुमार एक्का, शुखदेव विन्हा, उमाचरण भगत, विशु लकड़ा, प्रफुल गाँधी भगत, भोला कुजूर, डॉक्टर भोगन उराव, डॉक्टर विश्वनाथ भगत, मुनेश्वर उराव, बंदी उराव, दुर्गा भगत, महावीर भगत, भोले उराव, अमर उराव आदि ने प्रमुख समाजसेवी स्वर्गीय कार्तिक उराव के निर्देश पर आदिवासी छात्रावास के छात्रों के साथ मिलकर सिरमटोली जाकर कब्ज़ा की गई जमीन को मुक्त कराया और सरना स्थल बनाया, जो आज सभी सरना धर्मवालम्बी का श्रद्धा एवं आस्था का मुख्य केंद्र है. इस शोभयात्रा में प्रतिवर्ष लाखों सरना धर्मवलाम्बी शामिल होते हैं और अपनी संस्कृति और परंपरा का छाप विखारते हैं. दोनों सरना स्थल धार्मिक आस्था का केंद्र है, लेकिन आज कांग्रेस और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने मिलकर आदिवासियों की आस्था के केंद्र को मिटाने का प्रयास कर रही है. इस मौके पर सत्यनारायण लकड़ा, बाना मुंडा, विमल कच्छप, जादो उराव, दीपक जायसवाल, उदय किशोर पांडेय, अजय लिंडा आदि उपस्थित थे.

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